Pratika Rawal Indian Women Cricketer Life Journey: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की स्टार बैटर प्रतिका रावल आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। हर क्रिकेट फैन आज इस नाम से रूबरू है। लेकिन पिछले डेढ़ साल पहले तक किसी ने यह नाम नहीं सुना था। प्रतिका के पिता प्रदीप रावल जो खुद एक क्रिकेटर बनना चाहते थे, वो अपनी बेटी के रूप में अपने अधूरे सपने को पूरा करने के लिए निकल चुके थे। उन्हें भी लगने लगा था कि आखिरी प्रतिका का टाइम कब आएगा?
मगर कहते हैं ना कि ऊपर वाले के घर में देर है अंधेर नहीं। कठोर परिश्रम का फल सबको मिलता है। ऐसा ही प्रतिका रावल के साथ हुआ जब उन्हें पिछले साल शेफाली वर्मा की जगह वेस्टइंडीज सीरीज के लिए बतौर ओपनर चुना गया। उस वक्त माने प्रदीप रावल के लिए ऐसा लम्हा था कि उन्होंने अपने अधूरे सपने को पूरा कर लिया हो। प्रतिका की मां रजनी रावल के आंसू नहीं रुक रहे थे तो भाई शाश्वत रावल की खुशी का ठिकाना नहीं था। मगर इस पल के इंतजार में कितना परिश्रम एक पिता ने अपनी बेटी और उस बेटी ने किया वो हम आपको बताएंगे।
पढ़ाई में जीनियस और क्रिकेट में स्टार…
आमतौर पर कोई अगर एक करियर की तरफ फोकस होता है तो पढ़ाई में काफी उतार-चढ़ाव आते हैं। मगर प्रतिका के साथ ऐसा नहीं था। भले ही उन्होंने 12 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था, मगर पढ़ाई और खेल के बीच सामंजस्य कभी नहीं खत्म किया। प्रतिका के भाई ने बताया,”उन्होंने 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में 92 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किए। वह लगातार अपनी पढ़ाई और खेल में बैलेंस बनाकर चलती थीं। स्कूल में भी वह हर खेल खेलती थीं। उसके बाद वह क्रिकेट की स्टार बनीं और उसे अपना मेन स्पोर्ट चुना।”

पिता के अधूरे सपने को किया पूरा
प्रतिका रावल के 52 वर्षीय पिता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,”मैंने अपने यूनिवर्सिटी के दिनों तक क्रिकेट खेला। मैं एक ऑलराउंडर था जो हार्ड हिटिंग के साथ मध्यम गति का तेज गेंदबाज था। लेकिन मुझे उस वक्त सही मौका और सलाह नहीं मिल पाई। मैं अपना अधूरा सपना अपने पहले बच्चे के जरिए पूरा करना चाहता था। जब प्रतिका सिर्फ तीन साल की थी मैंने उसे बैट पकड़ना सिखाया था। मैं बीसीसीआई का लेवल 1 अंपायर बन गया और प्रतिका मेरे साथ जाती थी और मैच देख कर आती थी। उसे बास्केटबॉल में भी रुची थी, नेशनल लेवल पर मॉडर्न स्कूल के लिए उसने गोल्ड भी जीता। जब वह 10-12 साल की हुई तो हमने क्रिकेट को उसके भविष्य की सही राह के रूप में चुना।”
कोविड में घर की छत पर किया अभ्यास
प्रतिका रावल के करियर में उनके पिता का बहुत योगदान रहा है। प्रदीप रावल ने अपनी बेटी की ट्रेनिंग और उसे क्रिकेटर बनाने के लिए हर वो परिश्रम किया जिसकी जरूरत थी। प्रदीप रावल ने बताया कोविड का समय प्रतिका के करियर का सबसे कठिन वक्त था। उसी के कारण उसके करियर की शुरुआत में देरी हुई।
उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को अपने पुराने घर की छत की एक तस्वीर को लेकर बताया,”यह हमारा घर हुआ करता था लेकिन उस वक्त वहां कोई नहीं रहता था। इसी कारण मैंने छत पर पोल लगाए और वहां नेट बना दिया। मैं प्रतिका को यहां सुबह एक घंटे और शाम को एक घंटे प्रैक्टिस करवाता था। वो जब तक अपना अभ्यास नहीं करती थी ना खाती थी ना ही सोती थी। मैं अपने समय में बॉलिंग करता था तो मैं उसका थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट था। दिन में तकरीबन 400-500 गेंदों का सामना वो करती थी।”

एक साल के अंदर किया कमाल
प्रतिका रावल ने पिछले साल वनडे में अपना डेब्यू किया था। 22 दिसंबर 2024 को पहली बार प्रतिका रावल ब्लू जर्सी में खेलती नजर आई थीं। अभी एक साल भी नहीं हुआ है और वह वनडे वर्ल्ड कप 2025 में शानदार प्रदर्शन करती नजर आ रही हैं। उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 134 बॉल पर 122 रन की बेहतरीन पारी खेली जिसमें 13 चौके और 2 छक्के शामिल थे।
इसी के साथ उन्होंने अपने 23वें वनडे मैच की 23वीं ही पारी में 1000 रनों का आंकड़ा भी पार किया और सबसे तेज ऐसा करने वाली दुनिया की पहली महिला क्रिकेटर बनीं। वहीं वनडे वर्ल्ड कप में उन्होंने अपना पहला और ओवरऑल दूसरा वनडे शतक भी लगाया। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी प्रतिका रावल ने 75 रनों की बेहतरीन पारी खेली थी।
