चार अगस्त 2024 को भारत के खाते में 21वां मेडल आया। शॉटपुट के F46 कैटेगरी में सचिन ने सिल्वर मेडल जीता। इंजीनियर साहब ने 16.32 मीटर का थ्रो करके एशियन रिकॉर्ड भी हासिल किया। सचिन के इस मेडल ने 40 साल का इंतजार भी खत्म किया। 9 साल की उम्र में भले ही सचिन ने अपना एक हाथ खो दिया। हालांकि दुनिया जीतने के बाद वह सातवें आसमान पर हैं।
साइकिल चलाते हुए हादसा हुआ
सचिन का जन्म मध्यप्रदेश के सांगली में हुआ था। जब वह महज 9 साल के थे तब साइकिल चलाते हुए उनका एक्सीडेंट हो गया था। उनके हाथ की सर्जरी करने की कोशिश भी हुई लेकिन वह पूरी तरह सही नहीं हुए। उन्होंने अपनी पढा़ई पर ध्यान दिया। सचिन ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। सचिन के पिता की खेती में बहुत दिलचस्पी थी।
सचिन के पास 18 एकड़ की जमीन थी। सचिन ने बचपन से अपने किसान पिता सरजेराव रंगनाथसे पेड़ और मिट्टी से जुड़ी कहानियां ही सुनी। सरजेराव रंगनाथ महाराष्ट्र कृषि रत्न पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके हैं। सचिन ने बताया कि पिता अलग-अलग खान-पान के बारे में सुझाव देते हैं।
इंजीनियरिंग कॉलेज में देखा एथलेटिक्स ट्रैक
सचिन जब इंदिरा कॉलेज से इंजीनियरिंग कर रहे थे तब उन्होंने पहली बार एथलेटिक्स ट्रैक देखा। उन्होंने कोच अरविंद चौहान के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग लेनी शुरू की और डिस्कस और जेवलिन थ्रो में जीत हासिल की। हालांकि कंधे में लगी चोट के कारण वह जैवलिन थ्रो नहीं कर पाए। वह शॉटपुट करने लगे। साल 2015 में उनके पैरा स्पोर्ट्स का सफर शुरू हुआ।
2017 में जयपुर नेशनल्स में 58.47 मीटर की थ्रो के साथ उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। सचिन के लिए पैसा भी एक परेशानी थी। इसी कारण वह सुबह के समय एपीएससी और यूपीएससी के बच्चों को कोचिंग सेंटर में पढ़ाते थे। वह बतौर विजिट्ंग फैकलटी काम करते थे। बीते साल एशियन गेम्स में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता। वहीं साल 2023 और 2024 में वह वर्ल्ड चैंपियन बने।