पहलवानी में ओलिंपिक पदक जीतने वाले योगेश्नवर दत्त ने बढ़ती गर्मी पर ट्वीट करते हुए लोगों पर तंज कसा है। दत्त ने ट्वीट कर कहा, आम, नीम, पीपल और बरगद के पेड़ काटकर घर में मनी प्लांट लगाने वाली मानव जाति को भीषण गर्मी की शुभकामना। दत्त के इस ट्वीट को लोगों ने खूब पसंद किया है। अब तक 4.3 हजार लोगों ने इसे लाइक किया है और 2.4 हजार लोगों ने री- ट्वीट किया है। कई ट्विटर यूजर्स ने दत्त के इस ट्वीट का जवाब दिया है। @Dixit_G नाम के यूजर ने लिखा, जो लोग मनी प्लांट लगाते हैं वो एसी में रहते हैं और आम, नीम लगाने वाले भरी गर्मी में, यही विडंबना है। वहीं @Vandanaruhela ने लिखा, बात तो सही है भाई, मगर क्या करें। 150 स्क्वेयर यार्ड में मनी प्लांट ही लग सकता है। 500 मिले तो आम, नीम, पीपल सब लगा लें। वहीं @MaheshN48117609 नाम के यूजर ने लिखा, भाई जी इन लोगों को क्या पता गर्मी क्या होती है। ये गर्मी भी बेचारे गरीब को ही लेकर डूबेगी।
https://twitter.com/DIXIT_G/status/848123969949577217
https://twitter.com/Vandanaruhela/status/848125784929824769
भाई जी इन लोगो को क्या पता गर्मी क्या होती हे।ये गर्मी भी बेचारे गरीब को ही लेकर डुबेगी।
— संघर्षशील बाबू ???? (@cutoffbabu) April 1, 2017
बड़ा गजब व्यंग्य करते हो भाई । ?
— Abhishek semwal (@Abhisheksemwal5) April 1, 2017
हम लोग काफी विकसित और जानकार हो गए है इसीलिए पेड़ो का #पूजन बन्द कर दिये।
— सत्यम बरनवाल (@Isatyam2015) April 1, 2017
पहलवान जी बातों बातों में जोरदार बात कह गए ?☺
— satish chhimpa (@ChhimpaSatish) April 1, 2017
बता दें कि जब करणी सेना ने पद्मावती के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली पर हमला किया गया था, तो योगेश्वर दत्त ने भी उस पर अपनी राय रखी थी। उन्होंने 4 ट्वीट कर कहा था कि इतिहास के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। योगेश्वर दत्त ने ट्वीट में लिखा था, “चित्तौड़ की रानी की साहस,बलिदान की गौरवगाथा इतिहास में अमर है। चित्तौड़ के राजा रतनसिंह का स्वयंवर किया था। उपन्यास अलग बात है और इतिहास अलग बात। पारो और रानी पद्मावती में फ़र्क़ है। त्याग, बलिदान,साहस का प्रतीक रानी #Padmawati के साथ सावधानी रखें। आक्रमणकारी ख़िलजी से गरिमा की रक्षा के लिए 16000 वीरांगनाओं के साथ रानी #Padmavati ने जौहर किया,भस्म हुईं, लेकिन ख़िलजी को नहीं मिलीं। हार निश्चित होने के बाद भी 12 साल से ऊपर का हर पुरुष केसरिया साफ़ा बाँध कर “साका व्रत” किया। इस गौरव गाथा से छेड़-छाड़ स्वीकार नहीं की जा सकती।”