कानपुर से बनारस तक गंगा नदी को तैर कर पार करने का संकल्प लेने वाली 11 साल की श्रद्धा शुक्ला का सपना ओलंपिक में हिस्सा लेना है। इस नन्हीं तैराक ने स्वच्छ गंगा को लेकर लोग को जागरूक करने के लक्ष्य के साथ कानपुर से तैर कर बनारस पहुंचने की यात्रा की शुरुआत यहां के मैस्कर घाट से कर दी है और वह 10 दिन में करीब 550 किमी का सफर तैरकर तय करेंगी। श्रद्धा के पिता और कोच पेशेवर गोताखोर ललित शुक्ला ने पत्रकारों को बताया कि दो साल की उम्र से श्रद्धा तैरने की ट्रेनिंग ले रही है। श्रद्धा 2014 में जब नौ साल की थी तो उसने कानपुर से इलाहाबाद की दूरी तैर कर एक सप्ताह में पार की थी। राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर कल शाम उसने गंगा में तैरकर कानपुर से बनारस की यात्रा शुरू की।
शुक्ला ने बताया कि वह तो सड़क मार्ग से जा रहे हैं लेकिन श्रद्धा के साथ आठ गोताखोर, दो निशानेबाज तथा डॉक्टरों की टीम भी स्टीमर में साथ है। उसके लिए एक जाल की भी व्यवस्था है जो नदी में मगरमच्छ आदि जानवारों की आशंका के बीच उसकी रक्षा करेगा। ऐसी खतरनाक जगह पर उसके इर्दगिर्द जाल भी लगाया जाएगा। चार गोताखोर उसके साथ तैर रहे हैं जबकि चार गोताखोर स्टीमर में है। निशानेबाज का काम अगर बीच में कोई मगरमच्छ आदि आ गया तो उससे श्रद्धा को बचाना है। वह रोजाना करीब सात घंटे तैरगी।
शुक्ला ने बताया कि श्रद्धा ने सिर्फ दो साल की उम्र में तैराकी शुरू की इसलिए उसे अब पानी से डर नहीं लगता है और यही कारण है कि उसने कानपुर से बनारस तक तैरने की ठानी है। उन्होंने उसके तैराकी के जज्बे को देखते हुए अनेक लोग उसकी सहायता करने आए हैं लेकिन जिला प्रशासन ने कोई सहायता नहीं मिली है। उसका सपना है कि वह ओलंपिक में तैराकी में भारत का प्रतिनिधित्व करे। उन्होंने बताया कि श्रद्धा की पूरी यात्रा की वीडियोग्राफी भी हो रही है और हम यह वीडियोग्राफी उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार को भेजेंगे ताकि वह हमारी बेटी की इस प्रतिभा को आगे बढ़ाए और हमारी आर्थिक मदद करें जिससे कि उसके सपनों को पूरा किया जा सके। शुक्ला ने बताया कि श्रद्धा अब तक करीब 150 किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी है।

