पिछले दिनों रामजस कॉलेज से शुरू हुई राष्ट्रवाद की बहस कई पड़ाव से होते हुए अभी भी जारी है। दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा गुरमेहर के एबीवीपी के खिलाफ कैंपेन शुरू कर ने के बाद उनके खिलाफ कुछ खिलाड़ियों ने अपनी बात रखी थी। इन खिलाड़ियों में फोगाट बहनें भी थी। इन बहनों ने ट्विटर पर गुरमेहर कि उस बात का विरोध किया था उनके पिता को पाकिस्तान ने नहीं जंग ने मारा। बाद में जावेद अख्तर ने एक ट्वीट में खिलाड़िों को अनपढ़ बता दिया था। हालांकि बाद में उन्होंने अपने शब्द वापस ले लिए इस पूरी बहस में महावीर फोगाट ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने ट्विटर पर दो ट्विट करके कहा था कि यहाँ उम्र बीत गयी देश को मेडल दिलाने में,और वो एक पल नहीं लगाते अनपढ़ बताने में।

इसके बाद एक अंग्रेजी वेबसाइट ने महावीर फोगाट के पढ़ाई के संदर्भ में एक लेक प्रकाशित किया है। इस लेख में कहा है कि महावीर फोगाट अपने स्कूल के दिनों में अच्छें छात्रों में गिने जाते थे। ये ही नहीं पांचवी क्लास तक उन्हें अच्छे रिजल्ट के आधार स्कॉलरशिप तक भी दी जाती थी। उन्होंने कहा कि, “मुझे राशि ठीक से याद नहीं, लेकिन ये कोई 31 या 51 रुपए से ज्यादा नहीं थी। लेकिन उस समय के हिसाब से पांच छह महीने के जेब खर्जी के लिए पर्याप्त थी। बाद में कुश्ती के चलते महावीर फोगाट ने पढ़ाई पर ध्यान देना धीरे धीरे बंद कर दिया। उनके एक मित्र ने बताया कि परीक्षा के दिनों में ये जानते हुए कि वो फेल हो जाएंगे। उन्होंने कभी नकल नहीं की। उन दिनों सरकारी स्कूलों में नकल करना कोई बड़ी बात नहीं थी। लेकिन उनका मानना था कि नकल करने से अच्छा है फेल होना। महावीर फोगाट कहते हैं कि मैं पढ़ाई के महत्व को समझता हूं। लेकिन कुश्ती हमेशा मेरी प्राथमिकता में नंबर एक रही है। मैं नहीं चाहता था कि बच्चे होमर्क का भार उठाया जिससे रिंग में उनका प्रदर्शन प्रभावित हो।