दीपिका पल्लीकल कार्तिक ने आज राष्ट्रमंडल खेलों की मिश्रित युगल स्क्वाश स्पर्धा में सौरव घोषाल के साथ रजत पदक जीतने के बाद रेफरियों द्वारा लिए गए ‘‘ हैरान करने वाले फैसलों ’’ पर सवाल उठाये। भारतीय जोड़ी ने फाइनल मैच में भरसक कोशिश की लेकिन करीबी मुकाबले में उन्हें ऑस्ट्रेलिया के डोना उरकूहर्ट एवं कैमरन पिल्लै की जोड़ी के हाथों 8-11, 10-11 से हार का सामना करना पड़ा। दर्शक उम्मीद के अनुरूप स्थानीय खिलाड़ियों का समर्थन कर रहे थे और दीपिका को लगता है कि रेफरिंग की गुणवत्ता अच्छी ना होने से भारतीय जोड़ी को नुकसान हुआ।

उन्होंने कहा , ‘‘ फाइनल में हैरान करने वाले फैसले लिए गए। मुझे लगा कि वे फैसले निष्पक्ष होते तो मैच का रूख बदल जाता। लेकिन यही खेल है। दीपिका ने कहा , ‘‘ मुझे लगता है कि हमने ( सौरव एवं मैं ) इस हफ्ते जो हासिल किया , उसपर हम गर्व कर सकते हैं। साफ तौर पर हम स्वर्ण गंवाने से निराश हैं लेकिन हम जिस तरह से खेले , उसपर हमें गर्व हो सकता है। ऐसे कुछ दिन होते हैं जब आप सिर फख्र से ऊपर करके कह सकते हैं कि आपने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया लेकिन जीत आपकी किस्मत में नहीं थी। ’’

स्क्वाश में रेफरिंग हमेशा से विवाद का विषय रही है और गोल्ड कोस्ट के ओक्सनफोर्ड स्टूडियो ( आयोजन स्थल ) में जो हुआ , उससे खेल के संरक्षकों के इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत बढ़ती है। पांच बार की विश्व विजेता और फाइनल में कमेंटेरी कर रहीं सारा फित्ज गेरार्ड का मानना है कि रेफरिंग सही थी लेकिन ज्यादा तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा , ‘‘ मैं समझ सकती हूं कि दीपिका नाराज हैं लेकिन मेरे लिए रेफरिंग बड़ा मुद्दा नहीं था। मुद्दा इस बात की जांच के लिए तकनीक का पर्याप्त इस्तेमाल ना करना था कि गेंद दो बार उछली या टिन से लगी , ताकि सही फैसले लिए जा सकें। ’’
फाइनल में हार के बावजूद यह घोषाल और दीपिका के लिए एक यादगार अभियान था। वे राष्ट्रमंडल खेलों में यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय जोड़ी हैं। इससे पहले वे सेमीफाइनल में उलटफेर करते हुए शीर्ष वरीय , न्यूजीलैंड के जोएल किंग एवं पॉल कोल को हराकर फाइनल में पहुंचे थे। दीपिका के पास अभी महिला युगल में स्वर्ण पदक जीतने का मौका है जहां उन्होंने जोशना चिनप्पा के साथ जोड़ी बनाई है।