रियो में उसे पदक उम्मीदों में गिना जा रहा था और महिला कुश्ती में विनेश फोगाट ने शुरुआत भी उसी अंदाज में की लेकिन क्वार्टर फाइनल में घुटने में लगी चोट ने उसका सपना और देशवासियों की उम्मीदें तोड़ दी हालांकि जुझारूपन की जिंदा मिसाल इस महिला पहलवान को तोक्यो में इसकी भरपाई की उम्मीद है। रियो ओलंपिक में भारत की पदक उम्मीदों में शुमार रही विनेश महिलाओं के 48 किलो फ्रीस्टाइल क्वार्टर फाइनल में चीन की सुन यनान के खिलाफ 1.0 से बढ़त बना चुकी थी लेकिन इसके बाद उसके घुटने में चोट लग गई। उसे स्ट्रेचर पर बाहर ले जाया गया और इसी के साथ उसकी चार साल की मेहनत पर चंद पलों में पानी फिर गया।
रियो ओलंपिक उसके लिए एक बुरे सपने की तरह रहा लेकिन विनेश यह मानने को तैयार नहीं। उसने आज (सोमवार, 29 अगस्त) यहां राष्ट्रपति से अर्जुन पुरस्कार लेने के बाद भाषा से बातचीत में कहा,‘जो खो गया, उसका मलाल करने से अच्छा है कि भविष्य को बेहतर करने की कोशिश करूं। मुझे नहीं लगता कि यह बुरा सपना था। मेरी जिंदगी यहां खत्म थोड़े ही हो गई है। चार साल बाद तोक्यो में ओलंपिक होंगे और मुझे पूरा यकीन है कि मैं देश के लिए पदक जरूर जीतूंगी।’
राष्ट्रमंडल खेल 2014 में स्वर्ण पदक, एशियाई खेल 2014 में कांस्य पदक, राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप 2013 में रजत और सीनियर एशियाई चैम्पियनशिप 2013 में कांस्य पदक जीतकर पदक की उम्मीद जगाने वाली विनेश को यकीन था कि अगर चोट नहीं लगी होती तो रियो में वह पदक जरूर जीतती। उसने कहा,‘खिलाड़ी के जीवन में चोट लगती रहती है और यह खेल का हिस्सा है। मुझे पदक जीतने का यकीन था लेकिन चोट पर किसी का बस नहीं है। जो छूट गया, उसका मलाल करने की बजाय अब मैं आने वाले समय को बेहतर बनाने की कोशिश करूंगी।’ यह पूछने पर कि चोट से उबरकर अखाड़े में उतरने में कितना समय लगेगा, उसने कहा कि अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। उसने कहा,‘अभी यह कहना मुश्किल है कि मैं कब वापसी करूंगी। हो सकता है कि चार से छह महीने भी लग जाए लेकिन मैं खुद कुश्ती के अखाड़े में लौटने को बेताब हूं।’

