भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। यह भारत का ओलंपिक में यह लगातार दूसरा मेडल है। टीम के मिडफील्डर और पूर्व कप्तान मनप्रीत सिंह ने बताया कि पेरिस ओलंपिक का मेडल टीम के लिए आखिर क्यों अहम है। उन्होंने बताया कि पेरिस का ब्रॉन्ज उन लोगों के लिए जवाब है जिन्हें टोक्यो ओलंपिक में लाया गया मेडल एक तुक्का लगा था।
टोक्यो का मेडल लोगों को तुक्का लगा
भारतीय गोलकीपर पीआर श्रीजेश के रिटायरमेंट फंक्शन के इतर मनप्रीत सिंह ने जनसत्ता.कॉम से बात की। उन्होंने बताया पेरिस और टोक्यो की जीत का अंतर बताया। उन्होंने कहा, ‘टोक्यो में जब हमारा मेडल आया तो वह 41 साल बाद आया। उस समय काफी लोग बोल रहे थे कि ऐसा ही मेडल आ गया। तुक्का लग गया। लोग बहुत नेगेटिव बातें बोल रहे थे।’
पेरिस में टीम ने खुद को किया साबित
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान ने आगे कहा, ‘इस बार जो मेडल हमने जीता वह हमारे लिए ज्यादा खुशी देने वाला था। हमने बैक टू बैक मेडल जीता। ऐसा नहीं था कि पिछले बार जीता और इस बार कुछ नहीं। मेडल तो दोनों ही अहम है लेकिन इस बार हमने खुद को साबित किया। टीम ने जो प्रदर्शन किया वह शानदार था। पहले मैच से लेकर ब्रॉन्ज मेडल मैच तक सभी ने अपना बेस्ट दिया। वह काफी अच्छा रहा।’
पेरिस ओलंपिक की रणनीति
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत पर उन्होंने कहा, ‘ओलंपिक में जाने से पहले हमने यही सोचा था कि हम मैच बाय मैच जाएंगे। यानी एक समय पर एक ही मैच पर ध्यान देंगे। वह जरूरी है। कोई बेंचमार्क सेट करते हैं तो एक-एक करके कदम उस ओर बढ़ाया जाता है। हम बेल्जियम के खिलाफ हार गए थे इसके बाद हमारा मैच ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ था। हमारा ध्यान पर बस इस बात पर था कि जीत हासिल करनी है।’
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तैयार था पूरा गेमप्लान
भारत के लिए 300 से ज्यादा मैच खेल चुके मनप्रीत ने कहा, ‘यह भी था कि हमें गेमप्लान फॉलो करना है। भावनाओं में नहीं बहना है कि इस टीम को तो हराना ही हराना है। जब आप भावनाओं में ज्यादा बह जाते हैं तो आप अपनी टीम नुकसान करते हैं। ऑस्ट्रेलिया बहुत अच्छी टीम है। उनका अटैक बहुत शानदार है। हमारा यही ध्यान था कि उन्हें रोकना है। हम उनका गेमप्लान जानते थे। कौन उनका अहम खिलाड़ी है। किसने क्या किया है। मैच के बाद हमें एहसास हुआ कि 52 साल बाद हमने उन्हें हराया है। तब बहुत अच्छा लगा।’