11 अगस्त को क्लोजिंग सेरेमनी के साथ पेरिस ओलंपिक 2024 का अंत हो जाएगा। भारत ने इन खेलों में छह मेडल हासिल किया। वह मेडल तालिका में 71वें स्थान पर रहा। टैली के टॉप चीन रहा जिसने 40 और दूसरे स्थान पर रहे अमेरिका ने 39 मेडल जीते। एक ऐसा कॉलेज भी है जो कि इन सब देशों को मेडल के मामले में टक्कर देता है। इस एक कॉलेज के 66 खिलाड़ियों ने मेडल जीते जिसमें 23 गोल्ड मेडल शामिल थे।
एनसीएए के 1000 खिलाड़ियों ने लिया हिस्सा
नेशनल कोलिगएट एथलेटिक्स एसोसिएशन ने एक बार फिर साबित किया वह ओलंपिक मेडलिस्ट देने की मशीन है। टीम की गोल्ड और मेडल संख्या के मुताबिक वह मेडल तालिका में तीसरे स्थान पर होता। इस कॉलेज की वेबसाइट के मुताबिक उसके 1000 खिलाड़ियों ने पेरिस ओलंपिक में हिस्सा लिया। इसमें से 400 ने अमेरिका का प्रतिनिधित्व किया। इनमें से 406 ने स्वीमिंग, 150 ने बास्केटबॉल में हिस्सा लिया।
कई देशों को दिए मेडलिस्ट
इस कॉलेज ने सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि जमाइका, सेंट लूसिया, डोमिनिका, ऑस्ट्रेलिया,कनाडा और ब्रिटेन को भी मेडल दिलाए। सेंट लूसिया के लिए पहला गोल्ड जीतने वाली अलफ्रेड भी इसी कॉलेज का हिस्सा हैं। उन्होंने 100 मीटर में यह गोल्ड मेडल जीता।
कई टॉप क्लास कोच भी दिए
एनसीएए सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं बल्कि कोचेज भी तैयार कर रहा है। यह कोच देशों के लिए मेडलिस्ट तैयार कर रहे हैं। मारचंद इसका उदाहरण हैं। मारचंद ने इन खेलों में एक ही रात में स्वीमिंग के तीन अलग-अलग इवेंट्स में गोल्ड मेड हासिल किए। उन्होंने हर रेस में ओलंपिक रिकॉर्ड कायम किया। यह सबकुछ एनसीएए कोच बॉब बोवमैन के कारण। बोवमन ने दुनिया को माइकल फेल्पस जैसा खिलाड़ी दिया।
रविवार दोपहर तक चीन ने 40 गोल्ड, 27 सिल्वर और 24 ब्रॉन्ज मेडल जीते। वह 91 मेडल के साथ पहले स्थान पर है। अमेरिका ने 39 गोल्ड, 44 सिल्वर और 42 ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए। 125 मेडल के साथ यह देश दूसरे स्थान पर है। जापान ने 20 गोल्ड, 12 सिल्वर और 13 ब्रॉन्ज मेडल जीते। 45 मेडल्स के साथ यह देश तीसरे नंबर पर है। चौथे स्थान पर मौजूद ऑस्ट्रेलिया ने 18 गोल्ड, 19 सिल्वर और 16 ब्रॉन्ज मेडल जीते। उनके खाते में कुल 53 मेडल हैं।