देश के लिए खेलना और फिर वर्ल्ड कप जीतना दोनों ही बड़ी बातें हैं। साल 2018 में फ़ाइनल में भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम ने पाकिस्तान को हराकर ब्लाइंड वर्ल्ड कप अपने नाम किया था। तब अचानक भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम सुर्खियों में आ गई थी और उनके खिलाड़ियों की वाहवाही हुई थी।

लेकिन आज तीन साल बाद उसी टीम का एक खिलाड़ी अपना पेट पालने के लिए मजदूरी करने को मजबूर है। गुजरात के नवसारी के नेत्रहीन क्रिकेटर नरेश तुमदा विश्व कप विजेता टीम की प्लेइंग इलेवन का हिस्सा थे। लेकिन नरेश तुमदा आज मजदूरों की तरह काम करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा है। नरेश का कहना है कि वो गुजरात के मुख्यमंत्री से सरकारी नौकरी की गुहार लगा चुका है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

नरेश ने कहा, ‘मैं रोजाना 250 रुपये तक कमाता हूं। मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि मुझे कोई नौकरी दे ताकि मैं अपना जीवनयापन कर सकूं।’ नरेश पर परिवार के पांच लोगों की जिम्मेदारी है। वह अपने घर में अकेले कमाने वाले हैं। उनका कहना है कि सब्जी बेचकर जो पैसे आते हैं वह परिवार का खर्च चलाने के लिए काफी नहीं हैं। इस वजह से उन्होंने मजदूरी करने का फैसला किया। वह अब ईंटें उठाते हैं। 29 साल के नरेश को अपने बूढ़े माता-पिता की भी देखभाल करनी होती है और उन्हें कहीं से मदद नहीं मिल रही है।

इससे पहले पिछले बरस नरेश को सब्जी बेचते हुए देखा गया था. नरेश अहमदाबाद की जमालपुर सब्जी मंडी में छोटी सी दुकान चलाते देखे गए थे। उस समय मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था, ‘‘जब भारत की सामान्य क्रिकेट टीम जीत हासिल करती है, तो उन पर चारों तरफ़ से पैसों और इनाम की बारिश होती है। हम क्या उनसे छोटे खिलाड़ी हैं? सरकार ने वर्ल्ड कप जीतने के बाद भी न तो नौकरी की पेशकश की, न कोई आर्थिक मदद हुई।’

बता दें नरेश ने पांच साल की उम्र में खेलना शुरू किया। उन्हें एक प्रतिभाशाली क्रिकेटर माना जाता था। अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर साल 2014 में उन्होंने गुजरात की टीम में जगह बनाई। जल्द ही उन्हें राष्ट्रीय टीम में चुन लिया गया। लेकिन अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर छाई अनिश्चिताओं के चलते वह अपना खर्च चलाने के लिए मजदूर के तौर पर काम कर रहे हैं।