भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन (Hyderabad Cricket Association) के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन (एचसीए) की शीर्ष परिषद ने बुधवार शाम पूर्व क्रिकेटर को कारण बताओ नोटिस जारी किया और अंतिम फैसला आने तक उन्हें पद से निलंबित कर दिया।
क्रिकेट वेबसाइट क्रिकबज की रिपोर्ट के मुताबिक, शीर्ष परिषद ने उनके खिलाफ लंबित मामलों का हवाला देते हुए यह फैसला लिया है। नोटिस में शीर्ष परिषद ने अजहरुद्दीन पर हितों के टकराव संबंधी जानकारी का खुलासा नहीं करने, पैनल से सलाह किए बिना एकतरफा फैसले लेने, मनमानी नियुक्तियों और भ्रष्टाचार जैसे कई आरोप लगाए हैं। अजहरुद्दीन को जारी कारण बताओ नोटिस में पूर्व कप्तान पर भाई-भतीजावाद के आरोप भी लगाए हैं।
अजहरुद्दीन को 27 सितंबर, 2019 को एचसीए के अध्यक्ष के लिए चुना गया था। तब से वह कई विवादों में उनका नाम आ चुका है। कारण बताओ नोटिस में कहा गया है, शीर्ष परिषद के पास कारण बताओ नोटिस जारी करने और 40 (6) लंबित जांच और शिकायतों और कदाचार के आरोपों में कार्यवाही करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। शीर्ष परिषद ने आपको अंतिम निर्णय तक निलंबित कर दिया है। इसमें एचसीए में आपकी सदस्यता समाप्त करना भी शामिल है।
कारण बताओ नोटिस में कहा गया है, एचसीए की जनरल बॉडी के सदस्यों की ओर से शीर्ष शीर्ष परिषद आपके खिलाफ बहुत सी शिकायतें मिली थीं। शीर्ष परिषद ने उन शिकायतों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने के बाद यह नोटिस जारी करने का फैसला लिया है। आपको एसोसिएशन के संविधान की धारा 41 (1) (बी) और 15 (4) (सी) के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है।
नोटिस में कहा गया है, मिली शिकायतों से पता चलता है कि आप दुबई में एक निजी क्रिकेट क्लब के मेंटोर हैं। उसका नाम नॉर्दर्न वॉरियर्स है। नॉर्दर्न वॉरियर्स एक टी10 क्रिकेट टूर्नामेंट में हिस्सा लेता है। उस टी10 क्रिकेट टूर्नामेंट को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से मान्यता नहीं प्राप्त है।
नोटिस में कहा गया है, क्लब के मेंटोर होने के बारे में आप की ओर से एचसीए को कभी सूचित नहीं किया गया। यह भी स्पष्ट है कि आपने बीसीसीआई को भी इसकी सूचना नहीं दी है। आप एक गैर-मान्यता प्राप्त टूर्नामेंट के मेंटोर होने के नाते हितों के टकराव के दायरे में आते हैं। मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और एचसीए के नियम और विनियम 2018 के नियम 38 (1) (iii) में यह उल्लिखत भी है।