अमूमन मैराथन और हाफ मैराथन का आयोजन बड़े शहरों में किया जाता है लेकिन रोयोन सामाजिक संस्था ने छोटे शहरों और दूर-दराज के इलाकों में हाफ मैराथन के आयोजन की योजना बनाई है। रोयोन का मकसद छोटी जगहों से युवा और प्रतिभावान एथलीटों को सामने लाना है। गाजियबाद से साल भर पहले उसने इस सफर की शुरुआत की थी और अब देश के कई हिस्सों में संस्था हाफ मैराथन का आयोजन करने जा रही है।
‘रन टू ब्रीद’ नाम से शुरू की गई इस हाफ मैराथन का पहला आयोजन हिमाचल प्रदेश के ताबो में 26 जून को होगा। रोयोन ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहयोग से इसकी शुरुआत की है। इस सिलसिले की दूसरी कड़ी सितंबर में हल्दीघाटी में होगी। फिर गाजियाबाद, बिहार, महाराष्ट्र और गोवा में हाफ मैराथन के साथ-साथ दस व पांच किलोमीटर की दौड़ का आयोजन किया जाएगा।
संस्था लंबे समय से सामाजिक सरोकारों से जुड़ी रही है और सड़क सुरक्षा, वृक्षारोपण और सफाई पर उसका खासा जोर रहा है। गाजियाबाद में संस्था ने लोगों को पर्यावरण को लेकर जागरूक बनाने के लिए दौड़ का आयोजन किया था। उसकी कामयाबी ने दरवाजे खोले और संस्था से जुड़े मलय सौरभ, अमित किशोर और डा अमीद मुराद ने इसे बड़े पैमाने पर आयोजित करने का फैसला किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने उन्हें कई ऐसी जगहें सुझार्इं जिनका ऐतिहासिक महत्त्व है, लेकिन उनके बारे में देश के लोगों को बहुत कम ही पता है। रोयोन को उनका यह प्रस्ताव पसंद आया और उन्होंने उन इलाकों में इसके आयोजन को लेकर हामी भरी। विरासत को लोगों तक पहुंचाने के लिए इसका नाम ‘हेरिटेज रन’ रखा गया है।
लाहुल-स्पिति के ताबो में होने वाले पहले आयोजन को लेकर आयोजक उत्साहित हैं। लोगों का जिस तरह समर्थन उन्हें मिला है वह अपने आप में उनका उत्साह बढ़ाने वाला है। हिमाचल प्रदेश में होने वाले हाफ मैराथन का हिमाचल टूरिज्म ने प्रायोजित किया है। हिमाचल प्रदेश पर्यटन बोर्ड के उपाध्यक्ष मेजर विजय सिंह मनकोटिया से आयोजकों ने जब मुलाकात की तो उन्हें उनका प्रस्ताव बेहद अच्छा लगा। उनका मानना था कि इस आयोजन से तोबा जैसे इलाके में पर्यटन की संभावनाएं बढ़ेंगी।
मलय बताते हैं कि हमारी सोच से लोग जुड़ेंगे, ऐसा सोचा नहीं था लेकिन लोगों को हमारी परिकल्पना पसंद आई। खेल प्रतिभाओं के विकास के लिए हम आगे आए। फिर पर्यटन, पर्यावरण और अपनी धरोहरों को सजोने की बातें इससे जुड़ती गर्इं। दिल्ली सरकार की उपनिदशेक (खेल) और मैराथन धाविका आशा अग्रवाल ने भी इन कोशिशों को सराहा है। इस मैराथन में दिल्ली, बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मुंबई, बंगलूर सहित दूसरे प्रदेश के सैंकड़ों धावक हिस्सा ले रहे हैं। लेकिन बड़ी बात यह है कि ताबो के स्थानीय स्कूलों के बच्चे भी इस मैराथन में हिस्सा लेंगे।
काजा का स्थानीय प्रशासन भी इसे लेकर उत्साहित है और एसडीएम जगन ठाकुर इस आयोजन में व्यक्तिगत रुचि ले रहे हैं। ताबो में हाजार साल पुराना बौद्ध स्तूप है, जिसकी देखरेख भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण करता है। हाफ मैराथन को वेदान इंडिया, जेके टायर्स और एनटीपीसी का सहयोग भी मिल रहा है। बड़ी बात यह है कि इस पहले आयोजन का प्रसारण डीडी स्पोर्ट्स पर होगा। इससे आयोजकों को ताकत मिली है।
हिमाचल प्रदेश की खेल विभाग की उपनिदेशक, एशियाई खेलों की पदक विजेता और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित सुमन रावत भी हाफ मैराथन को लेकर बेतरह उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन से युवा प्रेरित होते हैं। सुमन रावत थ्योग में 22 जून को धावकों से मुलाकात कर उन्हें आगे रवाना करेंगी। धावकों का दल 21 जून को दिल्ली से रवाना होगा और रास्ते में अंबाला के मेयर रमेश कुमार मल धावकों को सम्मानित करेंगे। उसके बाद सोलन में नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष राकेश पंत उनका स्वागत करेंगे।
22 जून को नारकंडा में हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम के निदेशक रुपेश कंवर व नगर पंचायत की अध्यक्ष राज कंवर धावकों का स्वागत करेंगे। आबोहवा से समायोजन बिठाने के लिए मैदान इलाके के धावक काजा में तीन दिनों तक अभ्यास करेंगे। पूर्व ओलंपियन और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित मुक्केबाज अखिल कुमार इस मैराथन के ब्रांड राजदूत हैं। अखिल का कहना है कि इस तरह का आयोजन अपने आप में प्रेरित करने वाला है। छोटी जगहों पर कोई जल्दी इस तरह के आयोजन की हिम्मत नहीं करता लेकिन रोयोन ने यह हिम्मत दिखाई है। अखिल ने कहा कि गांव-कस्बों में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। जरूरत उन्हें मंच देने की है। रोयोन से मेरे जुड़ने की वजह भी यही है कि वह छोटी जगहों के एथलीटों को मंच प्रदान कर रहा है। रोयोन की योजना अगले मुकाबलों से स्कूली स्तर पर बेहतरीन एथलीटों को स्कालरशिप देने की भी है।