लगभग चार साल पहले जब भारतीय पुरुष हॉकी टीम के तत्कालीन कोच सोर्ड मारिन ने कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक टीनेज खिलाड़ी को चुना तो उन्हें यकीन हो गया कि एक नया सितारा मिल गया है। हालांकि, वह खिलाड़ी गोल्ड कोस्ट में फ्लॉप रहा, तो मारिन को काफी हैरानी हुई। पहले तो उन्हें लगा कि बड़े टूर्नामेंट में खेलने के दबाव के कारण ऐसा हुआ, लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि कप्तान मनप्रीत सिंह ने कथित तौर पर अपने दोस्त को टीम में शामिल कराने के लिए खिलाड़ी को खराब खेलने के लिए कहा था।

मारिन के कोच रहते पिछले साल टोक्यो ओलंपिक में महिला हॉकी टीम ऐतिहासिक चौथे स्थान पर पहुंची थी। इससे पहले वह पुरुष टीम के कोच थे और उन्होंने विल पावर नाम की अपनी पुस्तक में यह दावा किया है, जो जल्द ही रिलीज होने वाली है। 200 पन्नों की यह किताब महिला टीम में बदलाव पर आधारित है। इसमें उन्होंने पुरुष टीम के साथ नौ महिने के कठिन कार्यकाल को लेकर काफी कुछ लिखा है, जो गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में खराब प्रदर्शन के बाद समाप्त हुआ था।

हाई परफॉर्मेंस डायरेक्टर डेविड जॉन से मारिन को मिली थी जानकारी

मारिन ने कोच बनने के तुरंत बाद मनप्रीत सिंह को कप्तान बनावाया था। उन्होंने अपनी किताब में लिखा, ” राष्ट्रमंडल खेलों के कुछ हफ्ते बाद की एक बैठक में मुझे हाई परफॉर्मेंस डायरेक्टर डेविड जॉन से पता चला कि इस खिलाड़ी ने दावा किया था कि मनप्रीत ने उसे बढ़िया प्रदर्शन नहीं करने के लिए कहा था क्योंकि उनके दोस्त टीम में शामिल नहीं हो पाए थे। मुझे नहीं पता कि मनप्रीत ने मजाक में ऐसा कहा था या नहीं, लेकिन इसने मुझे काफी गुस्सा दिलाया था।”

कभी नहीं सोचा था मनप्रीत ऐसा करेंगे

नीदरलैंड में डेन बॉश से इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए मारिन ने कहा कि उनका इरादा किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं था, बल्कि लोगों को यह बताना था कि आप एक कोच के रूप में किस स्थिति से निपट रहे हैं और पर्दे के पीछे क्या होता है। उन्होंने शुक्रवार को कहा, “वह घटना बहुत मुश्किल थी, क्योंकि मुझे मनप्रीत पर भरोसा था और मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह ऐसा करेंगे।”

मारिन ने क्यों किया किताब में जिक्र

मारिन ने आगे कहा, “मैंने व्यक्तिगत कारणों से इसका किताब में जिक्र नहीं किया है। इसका कारण है कि लोग देखें कि यह टीम में इसका कैसे असर पड़ता है और अच्छा माहौल कितना महत्वपूर्ण है। यह इस बात का उदाहरण है कि इसने मेरे और टीम पर कैसे असर डाला और मुझे आशा है कि अन्य लोग इससे सीख लेंगे।”

मरिन पुरुष टीम पर इस तरह के आरोप लगाने वाले पहले कोच नहीं

मरिन पुरुष टीम पर इस तरह के आरोप लगाने वाले पहले कोच नहीं हैं। 2012 के ओलंपिक के बाद पूर्व कोच माइकल नोब्स ने हॉकी इंडिया को अपनी आधिकारिक रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि पंजाब के खिलाड़ियों का एक समूह टीम की तुलना में खुद पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहा था। उन्होंने दावा किया कि उनकी “एक खिलाड़ी को चोट पहुंचाने” की योजना थी ताकि एक स्टैंडबाय मुख्य टीम का हिस्सा बन सके। इसे नोब्स ने ओलंपिक में भारत के अबतक के सबसे खराब प्रदर्शन का एक प्रमुख कारण बताया था। टीम लंदन में 12 टीमों में अंतिम स्थान पर रही थी।

मारिन ने कैसे लिखा किताब

मारिन ने कहा कि उन्होंने और मनप्रीत सिंह ने घटना के कुछ महीने बाद भुला दिया और भारतीय कप्तान की अगुआई में पुरुष टीम टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीती। उन्होंने खेलों से पहले महिला खिलाड़ियों के प्रशिक्षण में भी मदद की। भारत में करीब पांच साल बिताने वाली मारिन के लिए किताब लिखना एक “लॉकडाउन प्रोजेक्ट” था। उन्होंने भारत में रहने के दौरान हर घटना का रोजाना नोट बनाया। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य ज्यादातर चीजों को याद रखना था। हालांकि, मार्च 2020 में जब महामारी शुरू हुई तो उन्होंने इन नोट्स की मदद से किताब लिखने का फैसला किया।