हम भारतीय महिला क्रिकेट की बात करें तो जेहन में तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी का नाम नहीं आए, ऐसा हो नहीं सकता है। पांच फुट 11 इंच की इस गेंदबाज ने करिअर में कई बार भारत को सफलता दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। आजकल न्यूजीलैंड में चल रहे आइसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप में सबसे ज्यादा विश्व कप विकेट लेने का रेकार्ड उन्होंने अपने नाम दर्ज किया है। झूलन ने वेस्ट इंडीज के खिलाफ मैच में अनीसा मोहम्मद को कैच कराकर यह रेकार्ड बनाया। यह उनका 40वां विकेट था और इस तरह वे 1988 में आस्ट्रेलिया की लिन फुलस्टन के बनाए 39 विकेट के रेकार्ड को तोड़ने में सफल हो गईं। उन्होंने इससे पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ विकेट लेकर इस रेकार्ड की बराबरी की थी।
झूलन ने 17 साल पहले अपने विश्व कप सफर की शुरुआत की थी। उन्होंने 22 मार्च 2005 को श्रीलंका की इनोका गालगेंद्रा के रूप में पहला विकेट हासिल किया। उस समय झूलन खुद भी नहीं जानती थीं कि उनका अंतरराष्ट्रीय सफर इतना लंबा खिंचेगा और वे एक दिन इस मुकाम पर खड़ी नजर आएंगीं। झूलन को इस रेकार्ड को आगे ले जाने का मौका है। वे यदि इस विश्व कप के बाकी मैचों में इसी रंगत में गेंदबाजी कर सकीं तो बहुत संभव है कि इस रेकार्ड को 50 विकेट तक पहुंचा दें। उस स्थिति में इस रेकार्ड को तोड़ना और मुश्किल हो सकता है।
बंगाल के नदिया जिले में जन्मीं झूलन के क्रिकेटर बनने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। आम भारतीयों की तरह झूलन के मां-बाप भी चाहते थे कि वे क्रिकेटर बनने के बजाय पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान दें। इस बीच 1997 में भारत में महिला विश्व कप हुआ और इसका फाइनल कोलकाता के ईडन गार्डन्स पर आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया। झूलन को इसमें बाल गर्ल की जिम्मेदारी मिली। इस दौरान ही उन्होंने बेलिंडा क्लार्क, डेबी हाके और केथरीन फिट्जपैट्रिक जैसी दिग्गजों को खेलते देखा और उनसे प्रेरणा लेकर क्रिकेट को ही करिअर बनाने का फैसला कर लिया।
झूलन के लिए घर वालों की मर्जी के खिलाफ क्रिकेटर बनना आसान नहीं था। शुरुआती दिन में वे लड़कों के साथ ही क्रिकेट खेलती थीं। उनकी गेंदों में काफी गति होती, जिससे गेंदों को खेलने मे लड़कों को भी दिक्कत होती थी। इसलिए कई बार लड़के उन्हें मैच में खिलाने से बचते थे। वे 2002 में अपना अंतरराष्ट्रीय करिअर शुरू करने में सफल हो गईं। झूलन के क्रिकेटर बनने की राह में मुश्किलों की कोई कमी नहीं थी।
उनके नदिया में घर से कोलकाता के प्रशिक्षण केंद्र की दूरी 80 किमी थी। इसके लिए उन्हें प्रतिदिन सुबह 4:30 बजे उठकर ट्रेन पकड़कर कोलकाता जाना होता था। कई बार ट्रेन छूट जाती थी। लेकिन वे इससे कभी विचलित नहीं हुईं और निरंतर क्रिकेटर बनने के प्रयास में जुटी रहीं। उनके कड़े परिश्रम का ही फल है कि वे विश्व कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रेकार्ड अपने नाम कराने में सफल हो गईं। यही नहीं वनडे में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रेकार्ड भी झूलन के नाम ही है। उन्होंने अब तक खेले 198 मैचों में 249 विकेट लिए हैं। इस विश्व कप के दौरान ही वह 200 वनडे मैच खेलने वाली और 250 से ज्यादा विकेट लेने वाली दुनिया की पहली महिला गेंदबाज बन जाएंगी।
भारतीय कप्तान मिताली राज की तरह ही झूलन गोस्वामी का भी विश्व कप जीतने का सपना है। दोनों ही 2017 में इस सपने को पूरा करने के करीब भी पहुंचीं थीं। लेकिन फाइनल में इंग्लैंड के हाथों हार ने यह सपना साकार नहीं होने दिया था। झूलन और मिताली का यह आखिरी विश्व कप है, इसलिए इसे साकार करने का भरसक प्रयास करेंगीं। सपना यदि साकार नहीं हो सका तो उन्हें इसका जीवनभर मलाल रहेगा।