दिग्गज झूलन गोस्वामी के रिटायरमेंट के साथ भारतीय महिला क्रिकेट का शनिवार, 24 सितंबर 2022 को एक अध्याय समाप्त हो जाएगा। इससे पहले इसी साल दिग्गज मिताली राज ने संन्यास ले लिया था। हरमनप्रीत कौर की अगुआई वाली टीम ने पहले ही इंग्लैंड के खिलाफ 2-0 से सीरीज अपने नाम कर ली है। अब वह लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान में महान तेज गेंदबाज को क्लीन स्वीप करके विदाई देना चाहेगी।

इंटरनेशनल करियर के आखिरी मैच से पहले महिला वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली झूलन ने बताया कि साल 1997 के महिला वर्ल्ड कप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच में वह ईडेन गार्डेंस में बॉल गर्ल थीं। इस दिन के बाद उनका भारत के लिए खेलना सपना बन गया। उन्होंने 20 साल के करियर में दो बार विश्व कप फाइनल खेला, लेकिन टीम ट्रॉफी नहीं जीत सकी। इसके उन्हें मलाल रह जाएगा।

मैंने दो विश्व कप फाइनल खेले हैं, लेकिन ट्रॉफी नहीं जीत सकी

रिटायरमेंट से पहले वर्ल्ड कप न जीतने के मलाल को लेकर झूलन ने कहा, “मैंने दो विश्व कप फाइनल खेले हैं, लेकिन ट्रॉफी नहीं जीत सकी। यह एकमात्र चीज है, जिसे लेकर अफसोस रहेगा क्योंकि आप चार साल तक विश्व कप की तैयारी करते हैं। बहुत मेहनत होती है। विश्व कप जीतना हर क्रिकेटर के लिए सपने के सच होने जैसा होता है। “

मुझे महिला क्रिकेट के बारे में कुछ भी पता नहीं था

झूलन ने आगे कहा, “जब मैंने शुरुआत की थी तो इतने लंबे समय तक खेलने के बारे में कभी नहीं सोचा था। यह बहुत अच्छा अनुभव था। मैं खेलने का मौका मिलने के लिए भाग्यशाली हूं। ईमानदारी से कहूं तो, एक छोटे परिवार और चकदा जैसे एक छोटे से शहर से होने के कारण मुझे महिला क्रिकेट के बारे में कुछ भी पता नहीं था।”

ट्रेनिंग के लिए लोकल ट्रेन से ढाई घंटे की यात्रा

झूलन गोस्वामी ने यह भी कहा कि इंडियन टीम का कैप पाना उनके सफर के सबसे यादगार क्षणों में से एक है। उन्होंने कहा, “ मेरे लिए सबसे यादगार पल इंडियन टीम का कैप मिलना और पहला ओवर फेंकना है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं भारत के लिए खेलूंगी। डगर कठिन थी क्योंकि मुझे ट्रेनिंग के लिए प्रतिदिन एक तरफ लोकल ट्रेन से ढाई घंटे की यात्रा करनी पड़ती थी।”

1997 महिला विश्व कप फाइनल में थीं बॉल गर्ल

झूलन ने यह भी बताया कि कैसे ईडन गार्डंस में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच 1997 महिला विश्व कप फाइनल से भारत के लिए खेलने के लिए उन्हें प्रेरणा मिली। इस मैच को करीब 90,000 लोगों ने देखा था। इसे लेकर उन्होंने कहा, “1997 में मैं ईडन गार्डंस में एक बॉल गर्ल थी, जहां मैंने अपना पहला महिला विश्व कप फाइनल देखा था। उस दिन से मेरा सपना भारत का प्रतिनिधित्व करने का था।”