अब भारतीय महिला क्रिकेटरों का सपना है विश्व कप हो अपना। आइसीसी का कोई प्रमुख टूर्नामेंट महिला टीम ने नहीं जीता है। निर्णायक चुनौती से पहले ही टीम इंडिया लड़खड़ा जाती है। 2017 का 50 ओवरों वाला विश्व कप ही एकमात्र ऐसा मौका आया जब टीम फाइनल की शक्ति परीक्षा में लड़खड़ा गई। तब से कई प्रतिभावान खिलाड़ी सामने आई हैं जिससे उम्मीद बंधी है कि आस्ट्रेलिया में 21 फरवरी से आठ मार्च तक होने वाले टी-20 महिला विश्व कप में खिताबी सफलता का कमाल हो सकता है।
विश्व कप से पहले आस्ट्रेलिया में ही त्रिकोणीय टी-20 सीरीज के फाइनल में पहुंचने से यह भरोसा बढ़ा है। इसमें मेजबान आस्ट्रेलिया और 50 ओवरों की मौजूदा विश्व चैंपियन इंग्लैंड को भारत ने हराया। फाइनल में आस्ट्रेलिया से हार का अंतर रहा मात्र 11 रन। बेहतर स्थिति में होते हुए भारतीय टीम लड़खड़ा गई।
टीम इंडिया की यह लड़खड़ाहट पहली बार दिखाई नहीं दी है। 2018 में वेस्ट इंडीज में हुए पिछले टी-20 विश्व कप के सेमी फाइनल में दो विकेट पर 89 रन बनाकर मजबूती की तरफ बढ़ रही भारतीय टीम 112 रन पर ढेर हो गई थी। इंग्लैंड ने दो विकेट खोकर ही लक्ष्य हासिल कर भारत को करारी चोट पहुंचाई थी। लेकिन इस बार भारतीय टीम को भरोसा है कि खब्बू ओपनर स्मृति मंधाना और कप्तान हरमनप्रीत कौर का आस्ट्रेलिया में बिग बैश लीग खेलने का अनुभव रंग दिखा सकता है। भारतीय टीम बेहतर रणनीति अपना सकती है।
हरमनप्रीत 2017 विश्व कप में आस्ट्रेलिया के खिलाफ 171 नॉटआउट की तूफानी पारी को फिर से नहीं दोहरा पाई हैं। लेकिन उनमें ताबड़तोड़ बल्लेबाजी का माद्दा है। शायद टीम की कमान संभालने का असर उनके खेल पर पड़ा है। उनके साथ-साथ ओपनर स्मृति मंधाना के प्रदर्शन पर काफी निर्भर करेगा। मंधाना एक चैंपियन बल्लेबाज हैं और अपने दम पर मैच जिताने की क्षमता रखती हैं। उनके पास स्ट्रोकों की विविधता है और तेजी से रन जुटाने की कला भी। पर उनकी सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि जब वह बड़े स्कोर की तरफ बढ़ रही होती हैं तो हवा में शॉट खेलकर विकेट गंवा देती हैं। अकसर उनका बाउंड्री पर कैच आउट होना खलता है। उन्हें अपना दायित्व समझना होगा और विकेट गंवाने से बचना होगा।
यह ठीक है कि भारत को अपनी दो मंझी हुई खिलाड़ी मिताली राज और झूलन गोस्वामी की कमी खलेगी। लेकिन कप्तान हरमनप्रीत को उम्मीद है कि नई प्रतिभाएं उनकी कमी को खलने नहीं देंगी। ऊपरी क्रम में 15 साल की प्रतिभावान बल्लेबाज शेफाली वर्मा और जेमिमा राद्रिगेज की मौजूदगी टीम को मजबूती प्रदान करती है। जेमिमा 2019 में टी-20 में सर्वाधिक रन बनाने वालों की सूची में दूसरे नंबर पर रही थीं। बंगाल की युवा खिलाड़ी रिचा घोष पर भी निगाहें रहेंगी। जरूरत इस बात की है कि मध्यक्रम और पुछल्ले बल्लेबाज भी अहम योगदान दें।
स्मृति मंधाना का मानना है कि स्पिन गेंदबाजी भारतीय टीम की ताकत है। लेकिन उनको यह भी स्वीकार करना होगा कि यही स्पिन टीम की कमजोरी भी है। त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में आस्ट्रेलिया की आॅफ स्पिनर ने जिस तरह भारतीय पारी को ध्वस्त किया, वह चिंतित करने वाला है। गार्डनर ने केवल 12 रन पर ही पांच बल्लेबाजों को पेवेलियन लौटा दिया। राजेश्वरी गायकवाड़, राधा यादव और पूनम यादव की किफायती गेंदबाजी बल्लेबाजों को पेरशानी में डाल सकती है। तेज गेंदबाजी की कमान शिखा पांडेय पर रहेगी। टी-20 में बल्लेबाज ताबड़तोड़ करती है, इसलिए गेंदबाजों को अपने कौशल पर फोकस करना होगा।
दस टीमों को दो ग्रुपों में बांटा गया। भारत ग्रुप ‘ए’ में आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ है। ग्रुप ‘बी’ में इंग्लैंड, वेस्ट इंडीज, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान और पहली बार खेल रही थाईलैंड की टीम है। आस्ट्रेलिया, भारत, इंग्लैंड और वेस्ट इंडीज के सेमी फाइनल में स्थान बनाने की उम्मीद है। मेजबान आस्ट्रेलिया परंपरागत रूप से सबसे सशक्त टीम है।
2009 में शुरू हुए टी-20 विश्व कप के छह में चार खिताब आस्ट्रेलिया के नाम रहे। पहला विश्व कप इंग्लैंड ने जीता था जबकि न्यूजीलैंड की टीम पहले दो टी-20 के फाइनल में उपविजेता रही थी। 2016 में जब भारत में आयोजन हुआ तो वेस्ट इंडीज को चैंपियन बनने का गौरव मिला। मेजबान होने के नाते आस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी दिखता है। उन्हें हराने के लिए विपक्षी टीमों को बेहतरीन क्रिकेट खेलनी होगी। पिछले दो मुकाबलों में भारतीय टीम ने यह साबित किया है कि आस्ट्रेलिया अजेय नहीं है। अगर खिलाड़ी जिम्मेदाराना अंदाज से खेलें तो सफलता मिल सकती है।
भारतीय नजरिए से यह विश्व कप अहम है। अगर खिताबी सफलता मिलती है तो मायने बदल जाएंगे। पुरुष और महिलाओं के बीच मैच फीस का जो बड़ा फासला है उसे पाटने की तरफ कदम बढ़ेगा। सफलता से क्रिकेट के प्रति आकर्षण बढ़ेगा। जरूरत 1983 में कपिल देव के नेतृत्व में हुए कमाल से प्रेरणा लेकर महिलाएं नया इतिहास रच सकती हैं। अगर अपनी प्रतिभा और क्षमता का पूरा रंग मैदान पर बिखेरने में भारतीय टीम सफल रही तो विश्व कप का सपना साकार हो सकता है।