भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) ने सोमवार को कहा कि कोचिंग और सहयोगी स्टाफ की संख्या 40 फीसद तक रखने के नियम का कड़ाई से पालन करना असंभव है। संघ ने कहा कि जितना संभव हो सके उतने कोच को रखने के आग्रह को पूरा करने की कोशिश की जाएगी लेकिन रियो में पदक के दावेदारों को इसमें प्राथमिकता मिलेगी। भारतीय ओलंपिक दल के नेता राकेश गुप्ता ने कहा कि कोचिंग स्टाफ की संख्या 40 फीसद तक रखने के नियम का कड़ाई से पालन करना असंभव है।

हम संतुलन बनाए रखने और पदक के दावेदार खिलाड़ियों और महासंघों की मांगों पर गौर करने पर विशेष ध्यान देंगे। कई महासंघों ने बड़ी संख्या में कोचिंग और सहयोगी स्टाफ की मांग की है। इनमें एआइटीए ने चार जबकि हाकी इंडिया ने महिला और पुरुष टीमों में से प्रत्एक के लिए आठ-आठ कोचिंग और सहयोगी स्टाफ के लिए कहा है। गुप्ता ने कहा कि एआइटीए ने चार सहयोगी स्टाफ के लिए कहा है लेकिन आईओए ने उन्हें अभी तक तीन ही दिए हैं। बैडमिंटन संघ ने छह कोचिंग स्टाफ की मांग की है जो कि असंभव है। हम उन्हें तीन देने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं हुआ है। हमें देखना होगा कि हम क्या कर सकते हैं। हमें पदक के दावेदारों पर गौर करके संतुलन बनाने की कोशिश करनी होगी।

रियो जाने की तैयारियों में लगी टेनिस स्टार सानिया मिर्जा ने अपनी मां नसीमा मिर्जा को खिलाड़ियों के साथ जाने की मांग की थी। नसीमा महिलाओं की टीम की मैनेजर भी हैं। महिला टेनिस में दूसरी खिलाड़ी सानिया की युगल जोड़ीदार प्रार्थना थोम्बारे हैं। गुप्ता ने कहा कि महासंघ ने नसीमा मिर्जा को टीम से जोड़ने का आग्रह किया था और हमने उसे मान लिया है। इसी तरह से विकास गौड़ा के पिता उनके कोच हैं और वे भी टीम का हिस्सा होंगे। आइओए अध्यक्ष एन रामचंद्रन ने कहा कि हम केवल 40 फीसद कोचिंग स्टाफ को ही मान्यता पत्र जारी करेंगे लेकिन इससे अधिक स्टाफ पर हम केवल वीजा हासिल करने में ही मदद कर सकते हैं।