मुश्किलें, चुनौतियां और समाज के ताने उनके सामने बौने ही होते हैं जिनके हौसले चट्टान की तरह मजबूत होते हैं। ऐसी ही कहानी है भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल की जो आज आपना 25वां जन्मदिन मना रही हैं। रानी रामपाल का जन्म आज ही के दिन यानी कि 4 दिसंबर को हरियाणा के शाहबाद मारकंडा में हुआ था। उनकी कप्तानी में भारतीय महिला हॉकी ने नई उंचाइयों का छुआ है लेकिन रानी रामपाल के लिए ये सफर आसान नहीं था। कभी समाज के तानों ने उनका रास्ता रोकने की कोशिश की तो कभी गरीबी ने उन्हें हताश। लेकिन रानी रामपाल की प्रतिभा और संघर्ष ने इन तमाम बाधाओं को तोड़ दिया।
रानी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उनके घर में इतने पैसे नहीं होते थे कि वो हॉकी खरीद सकें। उनके पिता ने उन्हें गांव की ही एकेडमी में डाल दिया था। उनके कोच ने उनका पूरा साथ दिया और रामपाल के हाथों में हॉकी स्टिक थमा दी। 14 साल की उम्र में रानी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू करने वाली सबसे छोटी उम्र की खिलाड़ी बनी। जब वह 15 साल की थीं, तो 2010 में विश्व महिला कप की सबसे छोटी खिलाड़ी थीं।
स्कर्ट पहनकर नाम खराब करेगीः रामपाल ने कहा कि जहां वो पली-बढ़ी थी वहां लड़कियों को चारदीवारी में रखा जाता है। जब उन्होंने भी हॉकी खेलने की इच्छा जाहिर की तो लोगों ने उनका मजाक उड़ाया,ताना दिया। रिश्तेदार पिता को ताने देते थे, ‘ये हॉकी खेल कर क्या करेगी? बस छोटी-छोटी स्कर्ट पहन कर मैदान में दौड़ेगी और घर की इज्ज़त ख़राब करेगी।
उनके पिता तांगा चलाते थे और ईंटें बेचते थे। पर पाँच लोगों के परिवार के लिए यह बहुत कम था। रानी ने अपने पुराने दिन याद करते हुए बताया था कि कि कैसे तेज़ बारिश के दिनों में उनके कच्चे घर में पानी भर जाता था और वे अपने दोनों भाइयों के साथ मिल कर, बारिश के रुकने की प्रार्थना करती थीं। लेकिन, आज उनकी सफलता की बूंदों ने पूरी दुनिया में रानी का लोहा मनवाया है और देश को अपनी इस बेटी पर फक्र है।