भारतीय तैराक एसपी लिखित ने कुछ साल पहले उजबेकिस्तान में एक टूर्नामेंट के दौरान यह आरोप लगाया था कि अधिकारियों ने बईमानी की ताकी उनके खिलाड़ी टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर सकें। जब लिखित ने पहली बार इस बारे में अपनी बात रखी तो लोगों ने उन्हें झूठा कहा। किसी ने उनका भरोसा नहीं किया। लोगों का कहना था कि लिखित अपने करियर की कब्र खोद रहे हैं लेकिन आज जब लिखित के आरोपों पर कार्रवाई की गई तो सभी को समझ आ रहा है कि लिखित सही थे।
लिखित को मिली अमेरिका के तैराकों की मदद
लिखित ने जब शिकायत करने का फैसला किया तो उन्हें सबूत की जरूरत थी। तब अमेरिका की ओर से खेलने वाले दो उजबेकिस्तानी तैराकों ने उनकी मदद की। इन्हीं तैराकों की मदद से लिखित को यूनिवर्सिटी ऑफ इंडोपोलिस में स्कॉलरशिप मिली। लिखित ने अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन के सामने सबूत और अपनी बात रखी। इसके बाद का सफर लिखित के लिए आसान नहीं था। अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन ने आरोपी अधिकारियों को पांच साल के लिए सस्पेंड कर दिया जिसे लिखित अपनी जीत मान रहे हैं।
लिखित को सुनने पड़े ताने
लिखित की शिकायत पर किसी ने यकीन नहीं किया। उजबेकिस्तान ने इन आरोपों को गलत बताया। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, ‘यह एक सबूत है, एथलीट्स की जीत है, सिस्टन साफ करने की तरफ पहला कदम है। मुझे लगता है कि ऐसी चीजें और भी जगह हो रही हैं। मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे अफसोस नहीं होता। लोग मेरे खिलाफ थे, उन्होंने मुझे ऐसा न करने को किया। मेरे मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा लेकिन मैंने जो भी किया उसका असर दिखाई दिया।’
लिखित को अपने फैसले पर गर्व
उन्होंने आगे कहा, ‘मेरी मां ने मेरे करियर के लिए बहुत मेहनत की है। अगर चीजें सही तरीके से नहीं की जाएगी तो स्वीमिंग करने का क्या फायदा। लोगों ने मेरे माता-पिता को, मुझको बहुत ताने मारे लेकिन मैंने जो किया मुझे उसपर गर्व है। मुझे तब माफी मांगने को मजबूर किया गया था लेकिन अब जब मैं सही साबित हुआ हूं तो मैं उन चीजों पर गर्व महसूस हो रहा है जो मैंने किया है।’