भारतीय क्रिकेट टीम के ऑफ-स्पिनर आर. अश्विन ने उन धारणाओं को खारिज किया है, जिनके हवाले से कहा जाता है कि वह सिर्फ लाल गेंद (टेस्ट मैच) से ही अच्छी फरफॉर्मेंस दे सकते हैं। वनडे टीम से बाहर चल रहे अश्विन का शनिवार को इन धारणाओं पर दर्द छलक आया है। उन्होंने कहा है कि वह नकारा नहीं हैं और ना ही उन्हें सफेद गेंद से कोई परेशानी है। अश्विन से पहले तेज गेंदबाज इशांत शर्मा ने भी कहा था कि भारतीय क्रिकेट में ऐसी राय बन गयी है कि वह टेस्ट गेंदबाज है जिससे एकदिवसीय में उन्हें मौका नहीं मिल रहा है। अश्विन को 2017 के वेस्टइंडीज दौरे के बाद एकदिवसीय टीम में जगह नहीं मिली है क्योंकि टीम प्रबंध को लगता है कि कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल जैसे कलाई के स्पिनर बेहतर विकल्प है।
अश्विन का कहना है, “मुझे नही पता कि यह एक राय बनी है। मैं कोई नकारा नहीं हूं। सफेद गेंद (एकदिवसीय) के प्रारूप में मेरा रिकार्ड उतना बुरा नहीं है। यह सिर्फ सोच की बात है कि आधुनिक दौर के क्रिकेट में कलाई के स्पिनर बेहतर हैं इसलिये मैं बाहर हूं।” अश्विन ने याद दिलाया की उन्होंने 30 जून 2017 को वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गये अपने आखिरी एकदिवसीय में 28 रन देकर तीन विकेट लिये थे। उन्होंने कहा, “मैंने अपने अंतिम एकदिवसीय में 28 रन देकर तीन विकेट लिये थे। मैं जब भी अपने करियर का देखूंगा तो यह कहूंगा कि मैं अपने प्रदर्शन के कारण नहीं बल्कि टीम की जरूरत के कारण बाहर किया गया।”
आईपीएल मैनेजमेंट द्वारा दिए गए काम के बोझ पर भी अश्विन ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि बतौर क्रिकेटर आप इससे (क्रेकिट) ज्यादा सोच सकते हैं। एक क्रिकेटर या खिलाड़ी होने के नाते आप सिर्फ आज क्या हो रहा है इस पर ही ध्यान दे सकते हैं। टीम मालिकों ने काफी पैसा आप पर लगाया है। लिहाजा, बड़े टूर्नामेंट होने के नाते सभी को सम्मान की खातिर खेलना चाहिए और बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए।