नमित कुमार। भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक में लगातार दूसरा ब्रॉन्ज मेडल जीता। इस हॉकी टीम में जहां एक ओर पीआर श्रीजेश और मनप्रीत सिंह जैसे खिलाड़ी थे वहीं दूसरी ओर हार्दिक सिंह और अभिषेक जैसे युवा चेहरे भी थे। युवा खिलाड़ी अभिषेक पेरिस ओलंपिक के बाद निराश हैं। बड़े हादसे का सामना करते हुए भी जिस खिलाड़ी ने हॉकी नहीं छोड़ा उस खिलाड़ी को केवल एक ही चीज खुशी होती है।
अभिषेक के साथ हुआ था हादसा
अभिषेक के साथ नौ साल की उम्र में हादसा हुआ था। वह उस समय भी हॉकी खेलते थे। एक दिन वह पेड़ पर चढ़े और वहां से गिर गए, जमीन पर गिरने से पहले अभिषेक दीवार पर गिरे जिसपर कांच के टुकड़े लगे हुए थे। इस हादसे ने अभिषेक को गंभीर रूप से घायल कर दिया। अभिषेक को जैसे ही होश आया, उन्होंने पहली चीज कही, ‘मुझे हॉकी खेलने से मत रोकना।’
मास्टरजी के साथ की शुरुआत
अभिषेक ने सीजेडआर सीनियर सेकेंडरी स्कूल सोनीपत में शुरुआती साल बिताए। अपने स्कूल के कोच को अभिषेक मास्टरजीत कहते हैं। इन्हीं मास्टरजी ने बताया कि अभिषेक जब तक वह न कर ले जिसकी टीम को उनसे उम्मीद है, वह खुश नहीं होता। अभिषेक खुद में सुधार करता रहना चाहता है और इसी कारण खुद की आलोचना भी करता है।
केवल गोल करके मिलती है खुशी
पेरिस ओलंपिक में बात करते हुए मास्टरजी ने कहा, ‘मैंने टीवी पर देखा कि शुरुआती मैचों में वह बहुत निराश था। मैंने उसे मैसेज करके पूछा क्या हुआ है। उसने कहा कि वह गोल नहीं कर पा रहा है और इसी कारण निराश है। मैंने उसे समझाया कि वह टीम के लिए दूसरा रोल निभा रहा है। हालांकि उसे यही लगता है कि टीम उससे जो उम्मीद करती है वह उसे पूरा करेगा तभी खुशी होगी।’
मास्टरजी ने आगे बताया कि अभिषेक का खेल अटैकिंग नहीं हुआ करता था। हालांकि अब यह युवा खिलाड़ी अलग तरह खेलता है। उन्होंने कहा, ‘आज के समय हॉकी की मतलब है टच, रिबाउंड और सेटपीस से गोल करना। अभिषेक वैसा नहीं खेलता था। शुरुआती दिनों में वह बेहतरीन ड्रिबलर था। उसका गेंद पर कॉन्ट्रोल अच्छा था। वह नई और पुरानी पीढ़ी का शानदार मिश्रण था।’