भारत के विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान भारतीय टीम में नियमित रूप खेलने का मौका नहीं मिल पाना उनके लिए मुश्किलों भरा रहा है लेकिन वह सकारात्मक रहने को प्राथमिकता देते हैं। किशोरावस्था में ही अपने प्रदर्शन से सुर्खियां बटोरने वाले सैमसन ने यहां 2015 में जिंबाब्वे के खिलाफ टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया, लेकिन तब से केरल के इस क्रिकेटर ने अब तक सिर्फ सात वनडे और 16 टी20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले ही खेले हैं।

सैमसन को अंतत: हाल में आयरलैंड, वेस्टइंडीज और जिंबाब्वे के दौरे पर जाने वाली दूसरे दर्जे की भारतीय टीम में जगह मिली। यूएई में होने वाले एशिया कप में हालांकि एक बार फिर नियमित विकेटकीपर ऋषभ पंत के लिए उन्हें जगह खाली करनी होगी। सैमसन ने भारत-जिंबाब्वे श्रृंखला के आधिकारिक प्रसारणकर्ता से कहा, ‘‘मैं इस चीज पर विश्वास करता हूं कि आपके करियर में चाहे जो भी हो आपको इसे सकारात्मक रूप से लेना चाहिए।’’

सैमसन ने कहा, ‘‘यह काफी मुश्किल होता है, निश्चित तौर पर आपको परेशान करता है जब आपको पता होता है कि आपके सभी मित्र खेल रहे हैं और आप नहीं।’’ काफी कम मुकाबले खेलने के बावजूद सैमसन भाग्यशाली हैं कि उनके अच्छी संख्या में प्रशंसक हैं। उन्होंने जिंबाब्वे के खिलाफ शनिवार को दूसरे एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच में 162 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए नाबाद 43 रन बनाने के अलावा तीन कैच पकड़कर भारत की जीत में अहम भूमिका निभाया।

इस प्रदर्शन के लिए मैन आफ द मैच बने सैमसन ने कहा, ‘‘मैं हैरान हूं कि भारत के लिए काफी कम खेलने के बावजूद मुझे अच्छा समर्थन मिलता है। मुझे लगता है कि यहां (दर्शकों के बीच) काफी मलयाली हैं क्योंकि मुझे ‘चेत्ता-चेत्ता’ (बड़ा भाई) सुनाई देता है जिससे मुझे गर्व महसूस होता है।’’ आईपीएल इतिहास में राजस्थान रॉयल्स के दूसरी बार इस साल फाइनल में जगह बनाने के दौरान टीम की अगुआई करने वाले सैमसन ने एक खिलाड़ी के रूप में अपनी प्रगति का श्रेय घरेलू क्रिकेट को दिया।