संदीप द्विवेदी। स्पिनर कुलदीप यादव, तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह और बल्लेबाज अभिमन्यु ईश्वरन को इंग्लैंड दौरे पर 1 भी मैच नहीं खेलने को मिला है। 18 खिलाड़ियों की टीम में ये तीन ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्हें बेंच पर बैठे रहना पड़ा है। ये जब मैच नहीं होता उस दिन प्लेइंग इलेवन में शामिल खिलाड़ियों को नेट्स पर गेंदबाजी करते हैं। टेस्ट मैचों के दौरान ये लंच और टी ब्रेक पर स्प्रिंट-ड्रिल करते नजर आते हैं। मैदान पर अपने कंधों पर तौलिया लटकाए, ड्रिंक्स और ग्लव्स पकड़े दौड़ते भी हैं।
ड्रेसिंग रूम में हमेशा मौजूद एक्स्ट्रा खिलाड़ियों को ‘वेटिंग रूम’ जैसा एहसास जरूर होता है। किसी भी पेशेवर खिलाड़ी के लिए ऐसी स्थिति में होना अच्छी बात नहीं है। लॉर्ड्स में जब ब्रेक के दौरान ‘एक्स्ट्रा’ खिलाड़ी दौड़ लगा रहे होंगे तो उन्हें न तो कोई प्रेरणादायक एहसास हुआ होगा और न ही वे यादें बना पाए होंगे। लॉर्ड्स के मैदान पर कदम रखते ही इंसान खुद को धन्य महसूस करता है। एक खिलाड़ी के लिए मैदान के स्क्वायर और ऑनर्स बोर्ड पर होना बड़ी बात है।
कुलदीप के पास लॉर्ड्स में खेलने का अनुभव
सीरीज से पहले कुलदीप से लॉर्ड्स में खेले गए एकमात्र टेस्ट के बारे में पूछा गया था। 2018 के उस दौरे पर उन्होंने भुला देने वाला प्रदर्शन किया था। सिर्फ 23 साल के कलाई के स्पिनरमें हुनर तो था, लेकिन चालाकी नहीं थी। उन्होंने 9 ओवर फेंके और 44 रन दिए। कोई विकेट नहीं लिया। भारत के लिए यह एक बेहद निराशाजनक टेस्ट था। उसे पारी से हार का सामना करना पड़ा। गेंदबाज कुलदीप के लिए दूसरी पारी में कोई मौका नहीं मिला।
अब मैं बल्लेबाजों को बेहतर ढंग से समझ पाता हूं
अब 30 वर्ष के हो चुके कुलदीप जीवन और अपनी गेंदबाजी के प्रति अधिक समझदार हो गए हैं। उन्होंने इंग्लैंड रवाना होने पहले इंडियन एक्सप्रेस से कहा था,”अब मैं खेल को नियंत्रित करने, बल्लेबाजों को सेट करने और किसी खास परिस्थिति से निपटने में काफी बेहतर हो गया हूं। अब मैं बल्लेबाजों को बेहतर ढंग से समझ पाता हूं और जानता हूं कि कहां और कैसे गेंदबाजी करनी है और कौन सी फील्डिंग रखनी है।”
सपोर्ट स्टाफ अकेला नहीं छोड़ता
पिछले डेढ़ महीने से कुलदीप अपनी ही टीम के बल्लेबाजों को “सेट अप” कर रहे हैं और “पढ़” रहे हैं। किसी-किसी दिन ईश्वरन को वह और अर्शदीप गेंदबाजी करते हैं। हालांकि, सपोर्ट स्टाफ उन्हें साथ देता है। उन्हें अकेला नहीं छोड़ता। गेंदबाजी कोच मोर्ने मोर्कल ने कुलदीप और अर्शदीप दोनों के साथ काफी समय बिताया। वे कड़ी मेहनत करते हैं, मजाक करते हैं। मोर्कल, हाथ में बेसबॉल का दस्ताने लिए, प्लास्टिक स्टंप के पीछे खड़े रहते हैं, जब दोनों गेंद को कोन से चिह्नित पूर्व-निर्धारित क्षेत्र में पिच करने की कोशिश करते हैं। कभी-कभी, अर्शदीप दस्ताने पहनते हैं और कोच से में गेंद कराते हैं।
कैस रह रहे फिट और तैयार
भारतीय कप्तान शुभमन गिल मैच से एक दिन पहले अर्शदीप और कुलदीप की जोड़ी का सामना करना पसंद करते हैं। यह वह दिन होता है जब भारत के मुख्य तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, आकाशदीप आराम से करते हैं और खुद को टेस्ट मैच के लिए तैयार रखते हैं। मुख्य बल्लेबाजों के साथ काम करने के बाद बैटिंग कोच शीतांशु कोटक नेट गेंदबाजों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें कुलदीप और अर्शदीप को गेंदबाजी करने के लिए कहते हैं। ईश्वरन द्वारा लगाए गए हर सटीक शॉट पर कोटक ‘शानदार शॉट’ चिल्लाते हैं और तालियां बजाते हैं। लंबे दौरे पर चोट और आपात स्थिति कभी भी हो सकती है, ऐसे में सभी को फिट और तैयार रहना चाहिए।
टेस्ट मैचों के बीच अच्छा अभ्यास मिले
सहायक कोच रयान टेन डोशेट कहते हैं, “हमारी टीम 18 सदस्यों की है, जो थोड़ी बड़ी है। इसलिए हमारे लिए जरूरी है कि हम उन खिलाड़ियों पर भी ज्यादा ध्यान दें जो नहीं खेल रहे हैं और यह सुनिश्चित करें कि उन्हें टेस्ट मैचों के बीच अच्छा अभ्यास मिले। उनसे बातते है कि हम कुछ निश्चित संयोजनों के साथ क्यों जा रहे हैं, क्यों नहीं… उम्मीद है कि वे मौके मिलने पर टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए सही मानसिक स्थिति में रहे और स्पष्ट रूप से शारीरिक और तकनीकी रूप से तैयार रहें।”
18 बेहतरीन खिलाड़ी
नीदरलैंड्स के पूर्व खिलाड़ी ने आगे कहा, “हमारे पास 18 बेहतरीन खिलाड़ी हैं, इसलिए कुछ खिलाड़ी दौरे पर आएंगे और टेस्ट नहीं खेलेंगे। लेकिन निश्चित रूप से टीम के माहौल को प्रबंधित करना बहुत जरूरी है ताकि सभी खेलने के लिए तैयार रहें और साथ ही ड्रेसिंग रूम का माहौल भी अच्छा बना रहे।”
कुलदीप और गंभीर की बातचीत
लंदन के ठीक बाहर केंट काउंटी ग्राउंड पर भारतीय टीम ने लॉर्ड्स में हार के बाद अपना पहला नेट सेशन किया। इसके बा एक लकड़ी की बेंच पर कुलदीप और मुख्य कोच गौतम गंभीर बैठे थे। इसे इस बात का संकेत नहीं माना जा सकता कि कलाई के स्पिनर को आखिरकार मैच खेलने का मौका मिलने वाला है और भारतीय टीम अपने छिपे हुए तुरुप के पत्ते को खिलाने के लिए तैयार है। यह बातचीत टीम के एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी को लेकर थी,जो संयोजन में फिट नहीं बैठ रहा था उसे टीम का हिस्सा होने का एहसास दिलाया जा रहा था।
क्रिकेट में मौके का लंबा इंतजार
किसी भी अन्य खेल के उलट क्रिकेट में एक के बाद एक लंबा इंतजार होता है। यहां तक कि प्लेइंग इलेवन में शामिल खिलाड़ी भी इससे जूझते हैं। जब कोई ओपनर जल्दी आउट हो जाता है तो वह अपने साथियों को बल्लेबाजी करते देखता है। मन ही मन वह चाहता है कि पारी खत्म हो ताकि वह दूसरा मौका पा सके।
ईश्वरन के लिए और भी मुश्किल
एक्स्ट्राज की तो हालत और भी खराब होती है, क्योंकि बोरियत और बेचैनी के लंबे दौर की कोई समय सीमा नहीं होती। ईश्वरन के साथ तो ऐसा कई सालों से चल रहा है। यह बहुत मुश्किल होता है, जब आपको सालों तक बाहर बैठाया जाए और फिर उम्मीद की जाए कि आप वेटिंग रूम से निकलकर तुरंत काम पर लग जाएंगे।