कानूनी प्रक्रिया के जरिए अपना नौ महीने का प्रतिबंध हटवाने वाले मिडफील्डर गुरबाज सिंह ने अगले साल होने वाले हाकी इंडिया लीग (एचआइएल) के चौथे सत्र में खेलने का मौका नहीं देने के लिए हाकी इंडिया की कड़ी आलोचना की है। गुरबाज पर भारतीय टीम में कथित गुटबाजी के आरोप में प्रतिबंध लगाया गया था जो अक्तूबर में समाप्त कर दिया गया था। उनका मानना है कि हाकी इंडिया ने उन्हें एचआइएल के 182 रिजर्व खिलाड़ियों की सूची में जगह नहीं देकर गलत किया है।

अब तक 200 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके गुरबाज ने कहा कि मैं समझ सकता हूं कि मुझे सितंबर में एचआइएल नीलामी में शामिल नहीं किया जा सकता था क्योंकि तब प्रतिबंध वैध था। मैं समझ सकता हूं कि वे केवल मेरे लिए नीलामी नहीं कर सकते लेकिन उन्हें मुझे एचआइएल की रिजर्व सूची में शामिल करना चाहिए था। इस तरह से किसी खिलाड़ी के चोटिल होने पर कोई भी टीम मुझे चुन सकती थी। यह अनुचित है।

हाकी इंडिया के प्रमुख नरिंदर बत्रा ने हालांकि गुरबाज के दावों का खंडन किया। बत्रा ने कहा कि हमने उसे दरकिनार नहीं किया। अगर ऐसा होता तो हम उसे दक्षिण एशियाई खेलों के लिए भारतीय टीम के शिविर में आमंत्रित नहीं करते। दो बार विश्व कप में खेल चुके गुरबाज ने कहा कि मैं किसी भी समय भारत की तरफ से खेलने के लिए तैयार हूं और मैंने हाकी इंडिया को सैफ खेलों में अपनी उपलब्धता के बारे में बता दिया है। लेकिन मैं सैफ खेलों के बजाय एचआइएल में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के साथ खेलना चाहता था। सैफ खेलों में भारत दूसरे दर्जे की टीम उतारेगा। यह निराशाजनक है। इससे बेहतर होता कि वे मुझे कह देते कि मैं उनकी योजना में शामिल नहीं हूं।

हाई कोर्ट ने इस सीनियर खिलाड़ी को नौ महीने के लिए प्रतिबंधित करने के हाकी इंडिया के फैसले को खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा था कि फैसला पूरी तरह से गैरकानूनी है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद हाकी इंडिया को भी प्रतिबंध समाप्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। हाकी इंडिया ने टीम के स्टाफ की रिपोर्ट के बाद गुरबाज के खिलाफ शिकायतों की जांच कराई थी और इसके बाद उन पर पाबंदी का फैसला लिया गया था।