रूस में फुटबॉल के सबसे बड़े खिताब के लिए दुनिया की 32 टीमें आपस में लड़ाई कर रही है। इस टूर्नामेंट में भारतीय फुटबॉल की टीम हिस्सा नहीं ले सकी, लिहाजा फैन्स पसंदीदा खिलाड़ियों के टीम को सपोर्ट कर रहे हैं। 120 करोड़ की आबादी वाले भारत देश में एक बेहतर फुटबॉल टीम को बनने में अभी भी समय लगेगा। फीफा वर्ल्ड कप में पहली बार क्वॉलिफाई करने वाली आइसलैंड की टीम ने अपने पहले ही मैच से सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। आइसलैंड की आबादी लगभग 3.5 लाख है,वहीं गुड़गांव की कुल मतदाताओं की संख्या भी 3.5 लाख ही है। अगर वोटर लिस्ट के अलावा देखा जाए तो गुड़गांव की आबादी फीफा वर्ल्ड कप खेल रहे इस देश की आबादी की तुलना में काफी अधिक होगी। सिर्फ आइसलैंड ही नहीं फीफा वर्ल्ड कप में हिस्सा ले रही कई देशों की जनसंख्या भारत के एक राज्य के बराबर है। गुजरात की जनसंख्या के बराबर फ्रांस की आबादी है और मध्य प्रदेश जितनी जनसंख्या गत विजेता जर्मनी की है। वहीं उत्तर प्रदेश की जनसंख्या ब्राजील के बराबर है। इतनी आबादी होने के बाद भी भारतीय टीम फुटबॉल में दूसरे देशों के मुकाबले में काफी पिछड़ी हुई नजर आती है।

फीफा वर्ल्डकप। (फोटो सोर्स- retures)

आइसलैंड टूर्नामेंट के 21वें संस्करण में ग्रुप-डी के अपने दूसरे मैच में शुक्रवार को नाइजीरिया से भिड़ेगी। आइसलैंड ने अपने पहले मैच में अर्जेटीना को 1-1 की बराबरी पर रोक दिया था। नाइजीरिया इस मैच में क्रोएशिया से 0-2 से मात खाने के बाद आ रही है। उसे एक ऐसी टीम से भिड़ना है जो आत्मविश्वास से लबरेज है। आइसलैंड पहली बार विश्व कप खेल रही है और पहले ही मैच में उसने लियोनेल मेसी जैसे स्टार खिलाड़ी के दबदबे को दफना दिया था।

इस जीत से बेशक उसे आत्मविश्वास मिला होगा लेकिन वो अपने अगले मैच को हल्के में नहीं लेना चाहेगी। आइसलैंड कोशिश करेगी की वह इस मैच में पूरे तीन अंक लेकर अगले दौर की संभावनाओं को प्रबल करे। आइसलैंड के लिए जरूरी है कि उसने अर्जेटीना के खिलाफ जिस एकजुटता का प्रदर्शन किया था उसे वो कायम रखे। टीम की ताकत यही है और इसी के दम पर उसने मेसी को रोक पाने में सफलता हासिल की थी।