अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज कोमोलिका बारी ओलंपिक में पदक जीतकर पिता का सपना पूरा करना चाहती हूं। कोमोलिका का कहना है कि पिता ने उनके खेल के लिए घर बेच दिया। पिता को चाय बेचनी पड़ी। घर का खर्च चलना मुश्किल हुआ तो एलआईसी में एजेंट बनकर पॉलिसियां बेचीं। अब समय आ गया है कि पापा का ड्रीम पूरा करने का।
कोमोलिका ने दो दिन पहले ही देहरादून में संपन्न हुई 41वीं जूनियर रिकर्व चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन कर झारखंड को ओवरऑल चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। कोमोलिका अब ओडिशा में बुधवार यानी 17 मार्च 2021 से वर्ल्ड यूनिवर्सिटी में खेलने के लिए निशाना साधेंगी। तीन दिनों तक चलने वाले वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ट्रायल में लक्ष्य भेदकर कोमोलिका अक्टूबर में चीन में होने वाले वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में अपनी जगह पक्का करना चाहती हैं।
पश्चिम बंगाल की रहने वाली 18 साल की कोमोलिका वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम में जगह पक्की कर चुकी हैं। लैटिन अमेरिका के ग्वाटेमाला में अप्रैल में वर्ल्ड कप होना है। इसके बाद वह जून में ओलंपिक क्वालिफायर के लिए पेरिस में निशाना साधेंगी।
कोमोलिका ने 2012 में आईएसडब्ल्यूपी तीरंदाजी सेंटर से करियर की शुरुआत की थी। चार साल तक मिनी और सब जूनियर वर्ग में शानदार प्रदर्शन करने के बाद उन्हें 2016 में टाटा आर्चरी एकेडमी में प्रवेश मिला। एकेडमी में उन्हें द्रोणाचार्य पूर्णिमा महतो और धर्मेंद्र तिवारी जैसे दिग्गज प्रशिक्षकों ने तीरंदाजी के गुर सिखाए। इन 3 साल में कोमोलिका ने डेढ़ दर्जन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते।
जूनियर रिकर्व में जीते थे 4 गोल्ड मेडल
41वीं जूनियर रिकर्व में कोमोलिका ने झारखंड को चैंपियन बनाने में मुख्य भूमिका निभाई। कोमोलिका ने इंडिविजुअल में स्वर्ण पदक, रैंकिंग 70 प्लस 70 मीटर में स्वर्ण पदक, टीम इंवेंट में स्वर्ण पदक और मिक्स्ड टीम इवेंट में गोल्ड मेडल जीते।
बेटी को ओलंपिक में पदक जीतते देखना चाहते हैं पिता
कोमोलिका के पिता घनश्याम बारी ने कहा कि बस एक ही सपना है बेटी देश के लिए ओलंपिकपदक जीते। कोमोलिका की मां लक्ष्मी बारी आंगनबाड़ी सेविका हैं। घनश्याम बारी चाय की दुकान चलाने के साथ-साथ एलआईसी एजेंट का काम करते हैं।
वर्ल्ड यूथ आर्चरी में भी जीत चुकी हैं गोल्ड मेडल
कोमोलिका बारी ने 2019 में स्पेन की राजधानी मैड्रिड में विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप के रिकर्व कैडेट (अंडर-18) वर्ग के फाइनल में इतिहास रचा था। तब कोमोलिका ने जापान की वाका सोनोडा को हराकर महिला कैडेट रिकर्व श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता था।