शिवानी नाइक। भारत की सबसे लोकप्रिय जिम्नास्ट दीपा करमाकर ने अपने करियर को अलविदा कह दिया। दीपा ने भारत के लिए कई टूर्नामेंट्स में ऐतिहासिक मेडल जीता। साल 2016 में रियो ओलंपिक में वह चौथे स्थान पर रही लेकिन यह जिम्नास्टिक्स में भारत की सबसे बड़ी कामयाबी थी। दीपा के लिए यह सफर आसान नहीं था लेकिन उन्होंने अपनी जिद, अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति से अपनी जिंदगी बदल दी। ताने मारने वालों को अपना मुरीद बनाया, नाममुकिन दिखने वाले कारनामे किए और एक छोटे से शहर से निकलकर दुनिया में भारत का नाम रोशन किया।

दीपा करमाकर का उड़ाते मजाक

दीपा ने बताया कि जब तब वह कामयाब नहीं हुईं उन्हें बहुत कुछ बर्दाश्त करना पड़ा। यहां तक की उनके ट्रेनिंग सेंटर में मौजूद कोच भी उन्हें ताना मार रहे थे। इंडियन एक्सप्रेस से दीपा ने बताया कि जब वह प्रोडुनोवा करने की ट्रेनिंग कर रही थीं तब लोग उनका मजाक उड़ाते थे।

कोच ने दीपा को कहा था भैंस

दीपा ने कहा, ‘मेरे लिए सफर आसान नहीं था। प्रोडुनोवा की ट्रेनिंग के समय मेरा मजाक उड़ाया जाता था। एक अन्य कोच वहां खड़े हो होकर कहते थे कि देखो एक भैंस खड़ी है, एक भैंस रूटीन करके गिर गई। मैं तब 18 साल की थी और बहुत रोई थी। मैं महज 18 साल की थी। यह सब सुनकर बहुत रोईं। मेरे कोच ने तब कहा कि हम कुछ नहीं बोलेंगे। जब ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में मैंने प्रोडुनोवा किया तब भी कोच फुलों का गुलदस्ता लेकर मेरा स्वागत करने आए।’

दीपा को एशियन गेम्स के लिए नहीं चुना गया

दीपा के लिए हर मुश्किल थी। 2016 में ऐतिहासिक प्रदर्शन के बावजूद उन्हें 2022 एशियन गेम्स के लिए नहीं भेजा गया। दीपा ने आधिकारिक ट्रायल में टॉप करके क्वालिफाई किया हालांकि एक दम से 12 साल से चले आ रहे नियम बदल दिए गए। टॉप करने के बावजूद वह इन खेलों में हिस्सा नहीं ले पाईं। हालांकि छह महीने बाद वह एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल लेकर आईं। उन्होंने वहां एशियन गेम्स की सिल्वर मेडलिस्ट को मात दी। यह दीपा का उन लोगो को जवाब था जिन्होंने उन्हें खेलों में नहीं भेजा।

दीपा का गोल्ड जीतना था अहम

दीपा ने बताया कि उनके लिए यह गोल्ड जीतना बहुत अहम था। उन्होंने कहा, ‘लोग कहते थे कि दीपा की अब उम्र हो चुकी है। उसका करियर खत्म हो चुका है। उसे अब खेलना छोड़ देना चाहिए। लोग ताने मारते थे। मैं सोचती कि इंतजार करो। मैं दिखाऊंगी कि दीपा क्या है। उन सब तानों के बाद गोल्ड जीतकर बहुत खुशी हुई थी।’

दीपा ने बताया कि उन्हें खुद पर सिर्फ तब संदेह हुआ जब उनके घुटनों की डबल सर्जरी हुई। एक जिम्नास्ट के लिए यह बहुत मुश्किल समय होता है। दीपा को उस समय लगने लगा था कि शायद वह कभी खेल नहीं पाएंगी। वह हंगरी में हुए टूर्नामेंट में फाइनल में भी नहीं पहुंच पाईं थी। उस समय उनके साथियों ने बहुत हिम्मत दी।