Commonwealth Games 2022: राष्ट्रमंडल खेलों की कांस्य पदक विजेता भारोत्तोलक हरजिंदर कौर ने कहा है कि मवेशियों के चारे का भूसा काटने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मशीन पर काम करने से उन्हें अपने हाथों को मजबूत करने में मदद मिली। हरजिंदर ने सोमवार को बर्मिंघम में महिलाओं के 71 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीता।
किस्मत हरजिंदर के साथ थी क्योंकि नाइजीरिया की स्वर्ण पदक की प्रबल दावेदार जॉय एजे को क्लीन एवं जर्क में तीन असफल प्रयास के बाद डिस्क्वालीफाई कर दिया गया जिससे हरजिंदर को पोडियम पर जगह बनाने का मौका मिला। हरजिंदर ने बर्मिंघम से फोन पर पीटीआई से कहा, ‘‘मैं अपने पिता के साथ घर और खेतों में काम करती थी और इसलिए मेरे हाथ मजबूत हैं।’’
हरजिंदर के बड़े भाई प्रीतपाल सिंह ने कहा कि वह अपने किसान पिता की खेतों में मदद करती थी और इससे भी वह मजबूत बनी। पटियाला के नाभा इलाके के गांव मेहसा की रहने वाली हरजिंदर ने कहा कि उन्हें राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने का पूरा भरोसा था। हरजिंदर ने कहा, ‘‘मेरे दिमाग में यह कभी नहीं आया कि मैं पदक नहीं जीतूंगी।’’
फाइनल के करीबी मुकाबले में उन्हें किस्मत का साथ मिला। उन्होंने कहा, ‘‘ जब रजत पदक विजेता ने अपना प्रयास सफलतापूर्वक पूरा किया तो मेरा दिल टूट गया। मैंने पदक की सारी उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन उस वक्त हैरानी हुई जब नाइजीरिया की खिलाड़ी का तीनों प्रयास विफल रहे।’’ इन खेलों में भारतीय भारोत्तोलकों ने शानदार प्रदर्शन किया है और वे अब तक तीन स्वर्ण पदक जीत चुके है।
भारोत्तोलन हरजिंदर की पहली पसंद नहीं थी क्योंकि उन्होंने शुरुआत में कबड्डी को अपनाया था। हरजिंदर ने 2016 में भारोत्तोलन को अपनाया और पटियाला के पंजाबी विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान वह खेल के प्रति आकर्षित हुई। हरजिंदर ने कहा, ‘‘शुरुआत में मुझे भारोत्तोलन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। मैंने कभी गांव या शहर में भारोत्तोलन के बारे में नहीं सुना था लेकिन जब मैं पंजाबी विश्वविद्यालय गई तो कोच परमजीत शर्मा ने मुझे भारोत्तोलन के लिए प्रेरित किया।” हरजिंदर तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं और उन्होंने पटियाला के मोदी कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की है।
