CWG 2022 : क्रिकेट को पूजने वाले इस देश में अचनाक एक गुमनाम स्पोर्ट्स चर्चा का विषय बन गया। 1 अगस्त 2022 से पहले शायद ही भारतीयों ने लॉन बॉल्स में रुचि ली होगी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारतीय महिला लॉन बॉल्स टीम ने मंगलवार को गोल्ड जीतकर इतिहास रचा। लवली चौबे, पिंकी, नयनमोनी सेकिया और रूपा रानी टिर्की की फोर्स टीम ने बर्मिंघम में देश का गौरव बढ़ाया है और अब वे परिचय का मोहताज नहीं हैं। न्यूजीलैंड को सोमवार को हराकर पदक पक्का करने वाली टीम ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ फाइनल में 17-10 से जीत दर्ज की।
गेंद को रोल कराने के इस रोचक खेल का क्रिकेट से काफी खास कनेक्शन है। कभी क्रिकेट के अंपायर रहे मधुकांत पाठक का भारत में इस खेल को लाने में अहम योगदान रहा है। उन्होंने बर्मिंघम में इतिहास रचने वाली इन खिलाड़ियों को उन्होंने ही ट्रेनिंग दी है। इनकी सफलता से वह काफी खुश हैं। उन्होंने इसे लेकर कहा, ” पहले तो लोग इसे स्पोर्ट्स मानते ही नहीं हैं।”
मजाक उड़ाया जाता था खिलाड़ियों का
भारतीय खिलाड़ियों को किस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ा इसके बारे में बताते हुए मधुकांत पाठक ने कहा कि 3 सेमीफाइनल में हारने के बाद भारतीय खिलाड़ियों का काफी मजाक उड़ाया जाता था। उनके लिए कोई मैच एक्सपोजर नहीं था और उनसे अक्सर पूछा जाता था “क्या गेंद को धक्का देते रहते हो और कहते हो स्पोर्ट्स है!”
स्टीव वॉ और मार्क वॉ से कनेक्शन
पाठक पहली बार 2000 के आसपास स्टीव वॉ से जमशेदपुर में एक अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान मिले, जहां वे चौथे अंपायर थे। उन्होंने 2003-04 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वॉ को अपने घर पर लॉन बॉल खेलते देखा। मार्क वॉ भी थे। उन्होंने कहा कि यह बल्लेबाजी जैसा ही है और क्रिकेट जितनी ही मेहमत लगती है। आपको बल्लेबाजों की तरह झुकना होगा। इससे एकाग्रता में मदद मिलती है और घास का पर भी खेला जाता है।
रांची में दूसरे खेलों से आए लोगों को ट्रेनिंग दी
पाठक ने महसूस किया कि खेल में उम्र की सीमा नहीं है। 9 साल से 99 तक कोई भी खेल सकता है। और यह भारतीय लोगों के लिए काफी अच्छा है, जिन्हें परिश्रम पसंद नहीं है, लेकिन दिमाग तेज है। इसलिए वह ऑस्ट्रेलिया में रहे और कोच बनने के लिए प्रशिक्षण लिया। रांची में दूसरे खेलों से आए लोगों को ट्रेनिंग दी।
लॉन्ग जंपर थीं लवली
झारखंड पुलिस में कांस्टेबल लवली चौबे अपनी युवावस्था में झारखंड की एक होनहार लंबी जम्पर हुआ करती थीं और भारत का प्रतिनिधित्व करने के सपने देखती थीं। वह सेंट्रल माइन डिजाइन लिमिटेड के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी की बेटी हैं। चोटिल होने के बाद उन्हें बिहार के तत्कालीन क्रिकेट अंपायर मधुकांत पाठक ने उन्हें लॉन बॉल्स में हाथ आजमाने की सलाह दी।
कबड्डी खेलती थीं रूपा रानी टिर्की
रूपा रानी टिर्की कबड्डी खेलती थीं और इसी तरह लॉन बॉल्स हाथ आजमाया। उनके पिता एक डाकघर में काम करते थे और उनके गुजरने के बाद में उनकी मां ने वह काम संभाला। उनकी बहन रीमा रानी टिर्की क्रिकेट खेलती हैं। नयमोनी सैकिय असम पुलिस में एक कांस्टेबल हैं। वहीं पिंकी के दिल्ली के एक आरके पुरम स्कूल में स्पोर्ट्स टीचर हैं।