टी-20 क्रिकेट में धाकड़ बल्लेबाजी का दौर है। सलामी या पुछल्ले बल्लेबाजों से टीम को अपेक्षा रहती है कि उनमें छक्के-चौके उड़ाने का माद्दा हो। बल्लेबाज भी रन बनाने के नए कौशल ईजाद कर रहे हैं। इस बार तो इंडियन प्रीमियर लीग में विकेटकीपर जलवा बिखेर रहे हैं। कुछ अपने करिश्माई खेल से मैच जिताऊ प्रदर्शन कर रहे हैं तो कुछ को विस्फोटक पारियां खेलने के बावजूद पराजय मिली।

काबिले तारीफ बात यह है कि अभी तक सर्वाधिक रन बनाने वाले शीर्ष तीन बल्लेबाजों में तीन विकेटकीपर-बल्लेबाज हैं। ऑरेंज कैप की दौड़ में भी पहले दो पायदान पर विकेटकीपर ही हैं। दिल्ली डेयरडेविल के रिषभ पंत 582 रन बनाकर नंबर एक जबकि किंग्स इलेवन पंजाब के ओपनर लोकेश राहुल 558 रन बनाकर दूसरे स्थान पर हैं।

विकेटकीपिंग एक कला है। बीते समय में इस कला में माहिर खिलाड़ी को ही टीम में जगह मिलती थी। लेकिन अब क्रिकेट का फार्मेट कोई भी हो, हर टीम चाहती है कि उसके पास ऐसा विकेटकीपर हो जो टीम की बल्लेबाजी को गहराई दे सके। खासतौर पर सीमित ओवरों की क्रिकेट में तो प्राथमिकता उसी खिलाड़ी को मिल रही है जो बल्ले से धुआंधार कर सके।

चर्चा में इस समय राजस्थान रॉयल्स के जोस बटलर हैं। इंग्लैंड के इस खिलाड़ी पर कोच शेन वार्न ने पारी शुरू करवाने का जो दांव खेला, वह फिट बैठ गया। राजस्थान टीम का भाग्य पलट गया। लगातार पांच मैचों में अर्धशतक लगाकर जोस बटलर ने 2012 में वीरेंद्र सहवाग के आइपीएल रेकार्ड की बराबरी कर ली। चेन्नई सुपरकिंग्स और मुंबई इंडियंस के खिलाफ पिछले दो मैचों में उन्होंने क्रमश: 95 और 94 नाबाद की पारियां खेलकर अपनी टीम को बेहतरीन जीत दिलाई। इससे राजस्थान की प्ले ऑफ में खेलने की उम्मीद बंधी है। बटलर अब तक 548 रन बना चुके हैं। इसी टीम में विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन भी हैं लेकिन बटलर के होने से उनको विकेटकीपिंग का मौका नहीं मिल पा रहा। वह एक बल्लेबाज के तौर पर टीम में हैं और 13 मैचों में 391 रन उनकी प्रतिभा के परिचायक हैं। किंग्स इलेवन पंजाब के विकेटकीपर केएल राहुल का बल्ला भी धूम मचाए है। ओपनर के तौर पर खेलते हुए उन्होंने 55.80 की औसत से 558 रन बनाए हैं। वे सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में दूसरे नंबर पर हैं। टीम को उन्होंने अपने बूते कई जीत दिलाई हैं। इस आइपीएल में वे पांच अर्धशतक लगा चुके हैं। नाबाद 95 उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर रहा है।

दो साल के निलंबन के बाद लौटी चेन्नई सुपरकिंग्स की कमान महेंद्र सिंह धोनी के पास है। एक आक्रामक बल्लेबाज के रूप में करिअर की शुरुआत करने वाले धोनी की कप्तानी के तो सभी कायल हैं। लेकिन ‘कैप्टन कूल’ दस्तानों की कलाकारी में भी बेजोड़ हैं। खास तौर पर स्टंपिंग की कला में। पिछले कुछ समय से धोनी की बल्लेबाजी क्षमता को लेकर सवाल उठ रहे थे क्योंकि धोनी को रन बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था। लेकिन इस आइपीएल में लगता है उनका खोया टच वापस आ गया है। वे यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि टीम को जीत दिलाएं। बल्लेबाजी में बढ़िया हाथ दिखाने के अलावा विकेट के पीछे आठ कैच और छह स्टंपिंग उनके विकेटकीपिंग कौशल के गवाह हैं।

क्रिकेट का नया तूफान हैं रिषभ पंत लेकिन दिल्ली के इस विस्फोटक बल्लेबाज की बदकिस्मत रही कि उनकी शानदार पारियां टीम के काम नहीं आ सकीं। फिर भी एक शतक और चार अर्धशतक से वे गेंदबाजों पर छाए रहे। 52.90 की औसत से 582 रन बनाकर उन्होंने धुरंधरों को पीछे छोड़ दिया है। इस आइपीएल में सर्वाधिक 31 छक्के उन्हीं के नाम हैं। लोकेश राहुल, एमएस धोनी, अंबाती रायुडू और एबी डिविलियर्स 29 छक्कों के साथ संयुक्त दूसरे स्थान पर हैं। विकेटकीपर ईशान ने भी मुंबई इंडियन के लिए अच्छा प्रदर्शन किया है। कोलकाता के खिलाफ उनकी 21 गेंदों पर 63 रन की पारी की सभी सराहना करते हैं। कोलकाता नाइटराइडर्स के कप्तान दिनेश कार्तिक का बल्ला भी रंग जमाए है। 13 मैचों में 51.50 की औसत से उन्होंने 412 रन बनाए हैं। लेकिन कप्तान के तौर पर वे छाप नहीं छोड़ पाए। दक्षिण अफ्रीका के विकेटकीपर क्विंटन डिकॉक चोटिल होने के कारण आठ मैच ही खेल पाए। उनकी गैर मौजूदगी में पार्थिव पटेल को मौका मिला। उन्होंने 51 और 40 की बढ़िया पारियां खेलीं।