टेस्ट क्रिकेट में दो बार तिहरा शतक जड़ चुके वीरेंद्र सहवाग अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं। हालांकि वह अब इस खेल से संन्यास ले चुके हैं मगर ये वो खिलाड़ी है, जिसे फैंस कभी भूल नहीं सकते। 20 अक्टूबर 1978 को दिल्ली के नजफगढ़ में जन्मे वीरेंद्र सहवाग ने अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत एक ऑलराउंडर की हैसियत से 1999 में पाकिस्तान के विरुद्ध की थी। सहवाग का रवैया शुरुआत से ही इतना आक्रामक था कि इस बल्लेबाज ने अपने करियर का पहला शतक भी महज 69 गेंदों में जड़ दिया था।

आज हम आपको भारत-श्रीलंका के बीच 2005 के उस मैच की यादें ताजा करवाएंगे, जिसमें सहवाग ने कमाल कर दिखाया था। हुआ यूं कि कोलंबो में खेले जा रहे इंडियन ऑयल कप टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले में पारी का छठा ओवर श्रीलंकाई मीडियम पेसर दिलहारा लोकुहैटिग डाल रहे थे।

भारत पहले 5 ओवर में बिना कोई विकेट खोकर 35 रन बना चुका था और उसे जीत के लिए 247 रन की जरूरत थी। स्ट्राइक पर वीरेंद्र सहवाग मौजूद थे, जबकि नॉन स्ट्राइकिंग छोर पर सौरभ गांगुली। दिलहारा ने पहली गेंद 117.3 किमी/प्रतिघंटा की रफ्तार से फेंकी, जिसपर सहवाग ने चौका लगाया। अगली बॉल पर सहवाग ने फिर से यही दोहराया। भारत की ओर से इस ओवर की बेहतरीन शुरुआत हो चुकी थी। दिलहारा ओवर की तीसरी बॉल डालने के लिए दौड़े। 120.6 किमी/प्रतिघंटा की रफ्तार से फेंकी गई इस बॉल पर सहवाग ने शानदार छक्का जड़ा। अगली तीन बॉल पर इस धाकड़ बल्लेबाज ने चौका लगाया। नॉन सट्राइकिंग एंड पर खड़े सौरभ गांगुली इस सलामी बल्लेबाज की बैटिंग का लुत्फ उठाते रहे। इस ओवर के अंत तक भारत का स्कोर हो गया 35/0.

बता दें कि सहवाग ने 251 वनडे मैचों में 15 शतक और 38 अर्धशतक के साथ 8273 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 219 रन की पारी भी खेली थी। वहीं बात अगर टेस्ट क्रिकेट की करें तो वह 104 मैचों में दो बार तिहरा शतक जड़ते हुए 8586 रन बना चुके हैं। वनडे में उनका स्ट्राइक रेट 104.33, जबकि टेस्ट फॉर्मेट में 82.33 रहा है।