उच्चतम न्यायालय से नियुक्त प्रशासकों के चार सदस्यीय पैनल के प्रमुख भारत के पूर्व नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) विनोद राय ने आज (सोमवार, 30 जनवरी) खुद को ‘नाइटवॉचमैन’ करार दिया और उनका काम यह सुनिश्चित करना होगा कि बीसीसीआई के निर्वाचित पदाधिकारियों के चुनाव में कोई परेशानी नहीं आये। उच्चतम न्यायालय ने बीसीसीआई के कामकाज के संचालन और न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा पैनल की अदालत से मंजूर सिफारिशों को लागू करने के लिये सोमवार (30 जनवरी) को प्रशासकों की चार सदस्यीय समिति गठित की। राय से जब उनकी नयी भूमिका के बारे में पूछा गया, उन्होंने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय से मिले इस तरह के किसी भी सम्मान को किसी को भी स्वीकार करके अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास करने चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘मैं क्रिकेट के खेल का सच्चा प्रशंसक हूं। मेरी भूमिका इस संदर्भ में नाइटवॉचमैन की होगी कि हमें सुशासन, अच्छी व्यवस्था और बेहतर ढांचा तैयार करने की जरूरत है जिससे पदाधिकारियों का सुचारू तरीके से निर्वाचन सुनिश्चित हो सके जो भविष्य में बीसीसीआई में अच्छा प्रशासन लेकर आएंगे।’

राय ने कहा, ‘खेल को इसकी (अच्छे प्रशासन) जरूरत है। खिलाड़ियों को इसकी जरूरत है और विशेषकर लोगों को इसकी जरूरत है जो इस खेल के दीवाने हैं।’ भारत में भ्रष्टाचाररोधी अभियान के प्रतीक रहे राय ने कहा कि क्रिकेट को सुशासन की जरूरत है लेकिन वह अपना पद संभालने के बाद ही बीसीसीआई पर किसी तरह की टिप्पणी करने की स्थिति में होंगे। उन्होंने कहा, ‘अभी कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी क्योंकि मुझे उस बारे में ज्यादा पता नहीं है और बीसीसीआई के कामकाज से परिचित नहीं हूं। लेकिन किसी भी संस्थान को सुशासन सुनिश्चित करना चाहिए। क्रिकेट के खेल को सुशासन की जरूरत है।’ राय से पूछा गया कि बीसीसीआई को ढर्रे पर लाने में उन्हें और उनकी टीम को कितना वक्त लगेगा। उन्होंने कहा, ‘मुझे इसका पता नहीं है। कुछ पता चलने पर ही मैं इस बारे में बता सकता हूं।’

इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने सोमवार (30 जनवरी) को भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड के संचालन की कमान पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय के नेतृत्व वाले प्रशासकों की समिति को सौंप दी। यह समिति ही क्रिकेट की इस धनाढ्य संस्था में सुधार के लिये न्यायालय द्वारा मंजूर न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा समिति की सिफारिशें भी लागू करेगी। प्रशासकों की इस समिति के अन्य सदस्यों में क्रिकेट के इतिहासकार रामचंद्र गुहा, आईडीएफसी के प्रबंध निदेशक विक्रम लिमये और भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान डायना एडुल्जी को शामिल किया गया है जो इस संस्था के कामकाज के बारे में बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल जौहरी से बातचीत करेंगे।

न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इसके साथ ही आईसीसी की अगले महीने होने वाली बैठक में बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करने के लिये तीन नामों को भी मंजूरी दे दी। इस बैठक में विक्रम लिमये बोर्ड के क्रिकेट प्रशासक अमिताभ चौधरी और अनिरुद्ध चौधरी के साथ बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करेंगे। पीठ ने प्रशासकों की समिति के लिये चार सदस्यों के नामों की घोषणा करने के साथ ही अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी का यह अनुरोध ठुकरा दिया कि इसमें खेल मंत्रालय के सचिव को भी एक प्रशासक बनाया जाये। पीठ ने कहा कि 18 जुलाई, 2016 के फैसले में न्यायालय ने स्पष्ट रूप से मंत्रियों और सरकारी कर्मचारियों को बीसीसीआई में कोई भी पद लेने से वंचित कर दिया था।