भारत और इंग्लैंड के बीच कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम पर टी20 सीरीज का आगाज मेहमान इंग्लिश टीम की जीत के साथ हुआ। टेस्ट और वनडे सीरीज में अपना दबदबा दिखाने वाली भारतीय टीम यहां कमजोर नजर आई। भारत विराट कोहली की कप्तानी में पहली बार टी20 सीरीज खेल रहा है। वनडे टीम के पूर्णकालिक कप्तान के तौर पर विराट ने विजयी शुरूआत की थी, लेकिन टी20 में वो ऐसा नहीं कर सके। दरअसल भारतीय बल्लेबाजों ने अंतिम के 10 ओवरों में काफी ढीला रवैया अपनाया, या ये भी कह सकते हैं कि इंग्लैंड की कसी हुई गेंदबाजी के आगे उनकी एक न चली। आलम ये रहा कि भारतीय बल्लेबाज अंतिम के 10 ओवरों में सिर्फ चार चौके और एक छक्का ही जड़ पाए। ये टीम इंडिया के टी20 इतिहास में पहली पारी में बल्लेबाजी करते हुए दूसरे नंबर पर अब तक की सबसे कम बाउंड्री हैं।
टीम इंडिया ने कानपुर टी20 में पहले 10 ओवर खत्म होने तक 2 विकेट के नुकसान पर 75 रन बना लिए थे लेकिन अंतिम के 10 ओवरों में जब सबसे ज्यादा रन बनने चाहिए थे तब भारत ने 5 विकेट गंवाते हुए कुल 72 रन ही बनाए। इसमें इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों, टाइमल मिल्स और क्रिस जॉर्डन का अहम योगदान रहा जिन्होंने कसी हुई गेंदबाजी करके धौनी जैसे धुरंधर फिनिशर को भी खुलकर खेलने का मौका नहीं दिया। नतीजतन भारत सिर्फ 147 रन का स्कोर खड़ा करने में सफल रहा।
एक बार फिर नहीं चले सलामी बल्लेबाज: टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने बुधवार को ही संकेत दे दिया था कि वे पारी की शुरुआत कर सकते हैं। भारतीय कप्तान ने अच्छी बल्लेबाजी करते हुए इस फैसले को एक हद तक सही भी साबित किया, लेकिन दूसरे विकेट के रूप में 55 रन के स्कोर पर उनके आउट होते ही मध्य क्रम पर दबाव बढ़ गया। विराट कोहली ने तो 29 रन की उपयोगी पारी खेली लेकिन दूसरे सलामी बल्लेबाज केएल राहुल ने वनडे के बाद टी20 में भी निराश किया और मात्र 8 रन बनाकर खराब शॉट खेलकर आउट हो गए। टी20 के लिहाज से युवराज सिंह और सुरेश रैना करीब 10 माह बाद टीम इंडिया में वापसी कर रहे थे। इन दोनों ने अपना पिछला टी20 मैच, वर्ष 2016 में खेला था। विराट ने अपने 46 टी20 मैच के करियर में कानपुर टी20 को मिलाकर तीसरी बार ओपनिंग की है। बेहतर होता कि प्लेइंग इलेवन में मनीष पांडे के स्थान पर ऋषभ पंत या मनदीप सिंह जैसे नियमित ओपनर को मौका दिया जाता। बाएं हाथ के बल्लेबाज पंत इससे पहले इंग्लैंड के खिलाफ अभ्यास मैच में भी आक्रामक बल्लेबाजी का प्रदर्शन कर चुके हैं।
11 से 15वें ओवर के बीच लड़खड़ाई भारतीय पारी: टीम का 147 के स्कोर पर सीमित होना: टीम इंडिया निर्धारित 20 ओवर्स में 147 के स्कोर पर ही सीमित रह गई। कानपुर के रनों से भरपूर विकेट के लिहाज से यह स्कोर काफी कम था। 150 रन से कम के स्कोर को डिफेंड करने के लिए टीम इंडिया को जरूरत थी लगातार विकेट हासिल कर मेहमान टीम को दबाव में लाने की, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। 10 ओवर तक टीम इंडिया का स्कोर दो विकेट पर 75 रन था और वह 7.50 के औसत से आगे बढ़ रही थी। इस लिहाज से 11 से 15 ओवर के बीच का खेल इंग्लैंड के लिए दिशा बदलने वाला साबित हुआ। इन पांच ओवर्स में टीम इंडिया के खाते में महज 31 रन जुड़ पाए और उसने युवराज, रैना और मनीष पाण्डेय के रूप में अपने तीन महत्वपूर्ण विकेट गंवा दिए।
जो रूट और इयोन मोर्गन के बीच 83 रन की साझेदारी: 147 रन के स्कोर को देखते हुए टीम इंडिया को लगातार विकेट हासिल करने की जरूरत थी, लेकिन जेसन रॉय और सैम बिलिंग्स की जोड़ी ने पहले विकेट के लिए बेहद तेज गति से 42 रन जोड़ दिए। लेग स्पिनर यजुवेंद्र चहल ने एक ही ओवर में इन दोनों को आउट कर भारत की मैच में वापसी कराई लेकिन कप्तान इयोन मोर्गन और जो रूट ने हार नहीं मानी। इन दोनों ने तीसरे विकेट के लिए 83 रन की साझेदारी की। आखिरकार मोर्गन (51) तीसरे विकेट के रूप में 126 के स्कोर पर आउट हुए, लेकिन तब तक भारत के हाथ से मैच निकल चुका था।
भारतीय तेज गेंदबाजों का ना चलाना: भारतीय तेज गेंदबाजों की तिकड़ी इस मैच में नहीं चल पाई। वैसे भी चोट से उबरने के बाद आशीष नेहरा करीब 10 माह बाद इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी कर रहे थे। उन्होंने अपना पिछला टी20 मैच मार्च 2016 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था। जसप्रीत बुमराह के पहले ही ओवर में रॉय-बिलिंग्स ने 20 रन ठोक डाले। हार्दिक पांड्या भी टीम को विकेट नहीं दिला सके। आखिरी क्षणों में बुमराह ने जो रूट को बोल्ड कर दिया था, लेकिन यह गेंद नो बॉल घोषित की गई।
