आशीष नेहरा के अंतरराष्‍ट्रीय क्रिकेट कॅरियर का बुधवार (1 नवंबर, 2017) को उनके घरेलू मैदान यानी दिल्‍ली के फिरोज शाह कोटला स्‍टेडियम में अंत हुआ। अपने आखिरी टी20 मैच में नेहरा ने कोई विकेट तो नहीं लिया, मगर टीम इंडिया को आसान जीत जरूर हासिल हुई। 18 साल लंबे कॅरियर में चोटों से परेशान होकर कई बार टीम में वापसी करने वाले नेहरा बेहद भाग्‍यशाली रहे हैं। आशीष नेहरा के कॅरियर की खास बात ये रही कि टेस्‍ट, वनडे, और टी20 फॉर्मेट में उनके आखिरी मैचों में भारतीय क्रिकेट टीम को जीत मिली। 2004 में पाकिस्‍तान के खिलाफ सीरीज में जब नेहरा ने आखिरी मैच खेला तो भारत ने पाक के खिलाफ पहली टेस्‍ट सीरीज जीती। 2011 में पाकिस्‍तान के ही खिलाफ मोहाली में भारत को पहली जीत मिली, वह नेहरा का आखिरी एकदिवसीय मैच था। बुधवार को न्‍यूजीलैंड के खिलाफ टीम इंडिया ने लगातार 5 हार का सिलसिला तोड़ा। तो आंकड़ों की नजर से देखें तो क्रिकेट के हर फॉर्मेट से नेहरा का सन्‍यास टीम इंडिया को जीत दिलाकर गया है।

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18 साल के लंबे करियर के दौरान उन्हें कई बार चोटें लगी लेकिन इसके बावजूद उनका करियर सफल रहा। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपने आखिरी मैच के बाद नेहरा ने कहा, ‘‘मुझे इन सबकी कमी महसूस होगी। आपको इसी के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। एक चीज जिसे अब निश्चित रूप से आराम मिलेगा वह है मेरा शरीर। मैंने इससे पहले कहा था कि मैं और कुछ साल खेल सकता हूं लेकिन संन्यास लेने के लिए इससे बेहतर वक्त नहीं हो सकता था।’’ नेहरा को कप्तान विराट कोहली ने पहले टी20 मैच का आखिरी ओवर डालने को कहा था। इस मैच में भारत को 53 रन से जीत मिली।

आशीष नेहरा ने भारतीय क्रिकेट की दो पीढ़‍ियों के साथ क्रिकेट खेला है। सचिन, सौरव, द्रविड़, लक्ष्‍मण जैसे दिग्‍गजों के साथ खेल चुके नेहरा बखूबी समझते हैं कि युवा क्रिकेटर्स को कैसे मेंटर करना है। उन्‍होंने भारतीय क्रिकेट टीम और आईपीएल में यह भूमिका निभाई है जिसके लिए कप्‍तान विराट कोहली ने मैच प्रजेंटेशन के दौरान नेहरा का धन्‍यवाद भी किया।

नेहरा ने कहा कि उन्होंने जब खेलना शुरू किया था तब से अब तक क्रिकेट बहुत बदल गया है। नेहरा ने कई साल पहले टेस्ट मैच खेलना छोड़ दिया था लेकिन उन्हें इस बात का कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने कहा कि 18 साल तक खेलना और यहां नीले कपड़ों में खड़ा रहना और अपना आखिरी मैच खेलने से ज्यादा वह और कुछ नहीं चाहते थे।

एक वक्‍त में भारत के पास डेथ ओवर्स में आशीष नेहरा से बेहतर गेंदबाज नहीं था। कई मौकों पर अपनी गेंदबाजी से नेहरा ने टीम को जीत दिलाई। 2011 वर्ल्‍ड कप में नागपुर में दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए आखिरी ओवर में जीत के लिए 13 रन चाहिए थे, मगर नेहरा ने जीत छीन ली। 2004 में पाकिस्‍तान के खिलाफ नेहरा ने आखिरी ओवर में पाकिस्‍तान को 9 रन नहीं बनाने दिए थे और भारत 6 रन से जीत गया था।

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