भारतीय क्रिकेट टीम के लिए अगर 2016-17 का सत्र शानदार रहा तो इसमें तेज गेंदबाज उमेश यादव का योगदान बहुत बड़ा है। भारत ने 2016-17 के होम सीजन में कुल 13 टेस्ट मैच खेले, चूंकी भारतीय पिचों से तेज गेंदबाजों को बहुत मदद नहीं मिलती फिर भी उमेश यादव ने अपनी गति, लाइन लेंथ और कंसिसटेंसी के दम पर बेहतरीन गेंदबाजी का नमूना पेश किया। क्रिकेट विशेषज्ञों ने उमेश यादव की गेंदबाजी को विश्व स्तरीय करार दिया, जो भारतीय तेज गेंदबाजों के लिए बहुत ही कम सुनने को मिलता है। उमेश यादव ने 2016-17 के सत्र में 11 टेस्ट मैच खेले, जिसमें उन्होंने 330.5 ओवर गेंदबाजी की और 40.5 की औसत से 25 विकेट चटकाए। इस दौरान उनका इकॉनमी रेट 3.03 का रहा। उमेश यादव ने अपनी गेंदबाजी में इस अप्रत्याशित सुधार के पीछे क्या राज है इसका खुलासा इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में किया है। पेश है उमेश यादव की सफलता की कहानी उन्हीं की जुबानी…

उमेश यादव ने इंडियन एक्सप्रेस को दिय गए इंटरव्यू में बताया, ‘जब मैं टीम में आया था तो टीम से अंदर बाहर हुआ करता था। मैं कभी विकेट लेता था तो कभी नहीं ले पाता था। मुझे टेस्ट मैचों के लिए टीम में स्थान नहीं मिल रहा था, मुझे कई टेस्ट सीरीज से बाहर कर दिया गया, मैं टीम में अपना स्थान सुरक्षित नहीं कर पाया था। लेकिन, जब मेरी शादी हो गयी तब मेरे अंदर अपने प्रदर्शन को लेकर ज्यादा समझ विकसित हुई। शादी के बाद आप जो कुछ भी करते हैं तो आप अपने साथी के बारे में भी सोचते हैं और आपको पता रहता है कि कोई ऐसा भी है जो किसी भी परिस्थिति में आपके साथ देने के लिए तैयार रहता है। इस वजह से आप अपने भविष्य को लेकर और चौकन्ने हो जाते हैं और प्रैक्टिकल भी। मेरी शादी के बाद जब मेरी पत्नी ने शुरू के दो तीन साल तक मेरे प्रदर्शन में स्थिरता नहीं देखा तो उसने मुझे टोकना शुरू किया। उसने मुझसे कहा कि तुम अच्छा कर रहे हो और मेहनत भी, लेकिन तुम और मेहनत कर सकते हो और इससे भी अच्छा प्रदर्शन भी।’

भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज उमेश यादव अपनी पत्नी तान्या बाधवा के साथ।(Photo: Instagram)

उमेश यादव ने बताया, ‘मेरी पत्नी ने मुझसे कहा कि उमेश तुम्हारे पार काबिलियत है। मुझे लगता है तुम अपनी काबिलियत के साथ न्याय नहीं कर रहे हो। तुम इससे अच्छा कर सकते हो।।’ उमेश ने बताया कि एक समय ऐसा भी आया था, जब उन्होंने ये सोच लिया था कि अब ट्रेनिंग छोड़कर घर बैठ जाएं। लेकिन उनकी पत्नी ने उनसे कहा, ‘कोई छुट्टी नहीं लेनी है। प्रैक्टिस पर जाना है तो जाना है।’ उमेश यादव ने बताया, ‘उसकी पहरेदारी में मैं बंक भी नहीं मार सकता था और ना ही प्रैक्टिस के लिए लेट हो सकता था। वह कहती थी, तुम ट्रेनिंग करके आओ और उसके बाद खाली समय में जो भी करना है करो, यही तुम्हारी जॉब है। यही तुम्हारा जूनून है, इसको हासिल करो।’ अपने किसी खास के मुंह से ऐसी बातें सुनकर, उसका साथ पाकर मुझे एक बार फिर अहसास हुआ कि क्रिकेट ही मेरी जिंदगी है। मुझे लगा कि सबकी नजरों में तो ठीक है, पहले अपनी पत्नी की नजरों में मैं ऐसा बनूं कि उसे लगे कि हां उसके पति में काबिलियत थी और उसने खुद को साबित किया। यहीं से मेरी गेंदबाजी में सुधार की शुरुआत हुई। उसके शब्द हमेशा के लिए मेरे दिमाग में बैठ चुके हैं।’

अपनी शादी के बारे में उमेश यादव ने बताया, ‘हम दोनों एक दूसरे से एक कॉमन फ्रेंड के जरिए मिले थे। दो साल तक हमने एक दूसरे को डेट किया और उसके बाद हमने फैसला किया कि अब शादी करते हैं। मुझे वो पसंद आ गयी, हम दोनों को एक दूसरे की आदतें अच्छी लगने लगीं। सही समय पर अच्छा जीवन साथी मिल जाए इससे बेहतर आप क्या सोच सकते हैं।’ उमेश यादव ने अपने खान पान के बारे में बताया, ‘मैं अभी भी घी खाता हूं। मैंने अपने डाइट में बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं किया है। मैं वो सारी चीजें खाता हूं जो एक स्पोर्ट्सपर्सन को खानी चाहिए। मैं मीठा खाने से परहेज करता हूं, बहुत ज्यादा तला भुना नहीं खाता हूं। बस शरीर को फिट रखने के लिए इतना काफी है। मैं दिन में एक बार घी जरूर खाता हूं। मैं शिव जी को मानता हूं तो उनका टैटू बनवा रखा है। मैं सिर्फ बल्लेबाज को आउट करने के लिए बाउंसर्स डालता हूं, यही मेरा काम है और इसे मैं करता हूं। मैदान से बाहर मेरा नेचर भगवान बुद्ध जैसा है, मैं शांत रहता हूं।