ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के बीच 17 मार्च, 1996 में आईसीसी वर्ल्ड कप मैच का फाइनल खेला गया था। यह वर्ल्ड कप श्रीलंका ने जीता था। इस मैच में जीत का ताज श्रीलंकाई खिलाड़ी अरविंद डी सिल्वा के सिर सजा था लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने में सनथ जयसूर्या और रोमेश कालूवितरणा ने बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया था। जब ये दो खिलाड़ी मैदान पर बल्लेबाजी करने के लिए उतरते थे तो गेंदबाज इनसे खौफ खाते थे। 1996 वर्ल्ड कप में सनथ जयसूर्या को प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया था। उन्होंने न केवल अपनी बल्लेबाजी से सबको हैरान किया था बल्कि उनकी गेंदबाजी से भी सब काफी प्रभावित हुए थे।
इसी तरह रोमेश कालूवितरणा का बल्ला जब खेलना शुरू करता था तो गेंदबाजों के पसीने छूट जाते थे। श्रीलंकाई विकेटकीपर कालूवितरणा बहुत ही अक्रामकता के साथ बल्लेबाजी करते थे। 1996 वर्ल्ड कप से कुछ महीने पहले ही कालूवितरणा और जयसूर्या ने टीम के लिए ओपनिंग करना शुरु किया था। कप्तान अर्जुना रनातुंगा ने दोनों बल्लेबाजों की ओपनिंग बैटिंग स्ट्रैटेजी को देखते हुए उन्हें वर्ल्ड कप की ओपनिंग के लिए मैदान में उतार दिया था। इन खिलाड़ियों ने इस टूर्नामेंट में भारत के खिलाफ खेले गए मैच में अपनी रणनीति अपनाते हुए सौ रनों की पारी की शानदार पारी खेली थी।
#OnThisDay in 1996, @OfficialSLC won the @CricketWorldCup thanks to a superb century from Aravinda de Silva
WATCH pic.twitter.com/h10hDGFkKC
— ICC (@ICC) March 17, 2018
Aravinda de Silva #OnThisDay in 1996 @cricketworldcup final:
– 107 off 124 balls
– 3/42
– 2 catchesWhat a champion! pic.twitter.com/FnqJkBWH0w
— ICC (@ICC) March 17, 2018
अपने समय में दोनों खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय वनडे क्रिकेट में 100 रनों की 6 पारियां खेली हैं। यह दोनों खिलाड़ी जिस तरह से खलेते थे, अब कई खिलाड़ी उनकी बैटिंग स्ट्रैटेजी को अपनाने की कोशिश करते हैं। वहीं अरविंद डी सिल्वा की बात करें तो उन्होंने भी अपने खेल से 1996, वर्ल्ड कप में सभी को प्रभावित किया था। 1996, वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में सिल्वा ने 107 रनों की नाबाद पारी खेली थी। इस मैच के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया था।
फाइनल में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने काफी शानदार पारी खेली थी लेकिन सिल्वा के शतक की मदद से श्रीलंका को यह वर्ल्ड कप जीतने में मदद मिली थी और फाइनल तक पहुंचाने का श्रेय सिल्वा के साथ-साथ जयसूर्या और कालूवितरणा को ही जाता है।