केरल में एक शख्स ने अपनी पत्नी को श्रद्धांजलि देते हुए फेसबुक पर एक मार्मिक पोस्ट लिखी है। पोस्ट में शख्स ने बताया कि कैंसर पीड़ित पत्नी की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए कैसे उन्होंने सचिन तेंदुलकर से पत्नी को मिलवाया। फेसबुक पोस्ट की मार्मिकता का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि पोस्ट को अबतक दस हजार से ज्यादा लोग शेयर कर चुके जबकि 27 हजार से ज्यादा फेसबुक यूजर्स ने इसे लाइक किया है। पोस्ट में रमेश कुमार एन ने बताया कि कैंसर से लड़ रही उनकी पत्नी की जिंदगी में एक बार सचिन से मिलने की ख्वाहिश थी जिसे उन्होंने पूरा कर दिखाया। फेसबुक पोस्ट में रमेश ने लिखा, ‘ये तस्वीर मेरी सबसे पसंदीदा तस्वीरों में से एक है। ये तस्वीर मैंने अचू (पत्नी) के साथ कोच्चि इंटरनेशनल स्टेडियम के सामने ली थी। मेरी अचू ने यह कहते हुए कैंसर का बहादुरी से सामना किया कि ये बीमारी केवल उसकी शरीर को कमजोर कर सकती है लेकिन उसकी आत्मा को कमजोर नहीं कर सकती। एक बार जब अचू को पता चला कि इंडियन सुपर लीग (आईएसएत) में केरल मास्टर ब्लास्टर्स का मैच देखने सचिन तेंदुलकर भी आ रहे हैं, तो वह भी सचिन को देखने के लिए जाना चाहती थी लेकिन ठीक उसी वक्त एक बार फिर उसकी कीमोथेरपी शुरू हो चुकी थी। दुर्भाग्यवश यह थेरपी सचिन के आने के ठीक चार दिन पहले शुरू हुई था। इलाज से होने वाली मुश्किलों के बीच एक दिन उसने कोच्चि में हमारे घर में मुझसे पूछा, ‘क्या अब हम सचिन को देखने नहीं जा पाएंगे?’ यह सचिन के आने से ठीक एक दिन पहले की बात है।’

पोस्ट में रमेश कुमार ने आगे लिखा, ‘हम दोनों जानते थे कि यह कैंसर की लास्ट स्टेज थी, इसलिए मैंने उससे अगली बार का कोई वादा नहीं किया। मैंने उससे बस इतना पूछा कि क्या उसके अंदर मेरे साथ आने की हिम्मत है। यह उसके लिए खतरनाक हो सकता था लेकिन उस पल मुझे यही ठीक लगा। उसने कहा, ‘हम सबको एक ना एक दिन मरना है, मैं मरने से नहीं डरती। उसने पूछा, क्या तुम मुझे ले चलना चाहते हो?’ जवाब में मैं बस मुस्कुरा दिया। बाद मैं कोच्चि में ही एक दोस्त से मिला, मैच के टिकट बुक किए, 4 दोस्तों को साथ ले चलने का इंतजाम किया ताकि वे मैच के दौरान हमारे साथ रह सकें। स्टेडियम से इमर्जेंसी एग्जिट और वहां से हॉस्पिटल तक पहुंचने का इंतजाम देखा। जब मैं घर वापस आया तो उसने पूछा, ‘तो हम कल मैच देखने चल रहे हैं, है ना? मुझे पता है कि तुमने सबकुछ अरेंज कर दिया है।’ कीमो ट्रीटमेंट की थकान के बावजद उसकी आंखों में चमक थी। हम स्टेडियम पहुंचे, हमारे चारों दोस्त परछाई की तरह हमारे साथ थे। केरल पुलिस ने हमारी मदद की और वहां एक इमर्जेंसी ऐंबुलेंस की व्यवस्था भी कर दी। आखिरकार, दस हजार लोगों के बीच अपनी बीमारी की सारी मुश्किलें भुलाकर उसने मेरा फोन लिया और फ्लैशलाइट ऑन करके सचिन का स्वागत किया। उस दिन वह बेइंतहा खूबसूरत लग रही थी। ‘सचिन, सचिन’ के शोर के बीच हम अपना दर्द भूल चुके थे।

बड़ी से बड़ी मुश्किल, यहां तक कि मौत का सामना करते हुए उसने अपनी इच्छाशक्ति और साहस के बल पर एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया था। उसने इस दुनिया से अपने सफर की शुरुआत कर दी थी लेकिन उसके साहस ने निश्चित तौर पर मौत को भी हिलाकर रख दिया था। राह में मुश्किलें आएंगी लेकिन कभी हार मत मानना। अपनी आखिरी सांस तक लड़ना। जिंदगी खूबसूरत है, हर पल खुश रहो, खिलखिलाते रहो। ऊपरवाला आप सब पर अपना आशीर्वाद बनाए रखे।’