अगर आप लिमिटेड ओवर्स क्रिकेट में भारत के इतिहास पर गौर करें तो दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ साल 2002 की चैम्पियंस ट्रॉफी सेमीफाइनल में मिली जीत की कहानी काफी रोमांचित करने वाली है। भारत ने मैच में पहले बैटिंग किया। वीरेंद्र सहवाग और युवराज सिंह की अर्धशतकीय पारियों की बदौलत भारत ने दक्षिण अफ्रीका के सामने जीत के लिए 261 रनों का लक्ष्य रखा, यह लक्ष्य 15 साल पहले काफी चुनौतीपूर्ण हुआ करता था। राहुल द्रविड़ ने भी 49 रनों की अहम पारी खेली, जिससे भारत को 250 रनों आकड़ा पार करने में आसानी हुई। वीरेंद्र सहवाग ने 58 गेंदों में 59 रन की पारी खेली और भारत को एक अच्छी शुरुआत दी थी। साउथ अफ्रीका के लिए शॉन पोलाक सबसे सफल गेंदबाज रहे थे और 9 ओवर में 48 रन देकर तीन सफलताएं अर्जित की थी।
भारत द्वारा दिए गए लक्ष्य का पीछा करते हुए साउथ अफ्रीका ने पारी के तीसरे ही ओवर में ओपनर ग्रीम स्मिथ का विकेट गवां दिया। इसके बाद हर्शल गिब्स के साथ जैक्स कैलिस ने मोर्चा संभाला और भारतीय गेंदबाजों की खबर लेनी शुरू की। इन दोनों बल्लेबाजों ने कुछ बेहतरीन शॉट्स लगाए और भारतीय गेंदबाजों को इन्हें आउट करने का कोई तोड़ नहीं मिल रहा था। धीरे-धीरे मैच में भारत की उम्मीदें धुमिल होने लगी और साउथ अफ्रीका जीत की ओर मजबूती के साथ बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा था। हर्शल गिब्स ने पारी के 32वें ओवर में अपना शतक पूरा किया। दूसरे छोर से जैक्स कैलिस भी अच्छी पारी खेल रहे थे और दोनों ने मिलकर दक्षिण अफ्रीका के स्कोर को 190 तक पहुंचा दिया था। तभी हर्शल गिब्स को हैमस्ट्रिंग इंजरी हो गयी और उन्हें रिटायर हर्ट होकर पवेलियन जाना पड़ा। इस समय साउथ अफ्रीका का स्कोर 192/1 था।
हर्शल गिब्स 116 रन के स्कोर पर रिटायर हर्ट होकर पवेलियन वापस लौटे और यहीं से मैच का पासा पलट गया। हरभजन सिंह ने दक्षिण अफ्रीकी पारी के 39वें ओवर में दो विकेट लेकर मैच में नया मोड़ ला दिया। युवराज सिंह ने शॉर्ट फाइनलेग पर जॉन्टी रोड्स का लाजवाब कैच पकड़ते हुए मैच में भारत को वपासी दिला दी। इसी ओवर में हरभजन ने बोएटा डिप्पेनार को फाइन लेग पर अनिल कुंबले के हाथों लपकवा कर दक्षिण अफ्रीकी टीम का लय बिगाड़ दिया। क्रीज पर जैक्स कैलिस मौजूद थे, लेकिन दूसरे छोर पर दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाज भारतीय स्पिनर्स के सामने संघर्ष कर रहे थे। इसका असर साउथ अफ्रीका के स्कोरबोर्ड पर भी दिख रहा था, गेंदें कम बची थी और रन ज्यादा बनाना था। मैच के 44वें ओवर में वीरेंद्र सहवाग ने मार्क बाउचर को आउट कर दिया, अब दक्षिण अफ्रीका को 33 39 गेंदों में 49 रन बनाने थे।
बाउचर के आउट होने के बाद 1999 विश्व कप के हीरो लांस क्लूजनर मैदान पर बल्लेबाजी के लिए आए थे। उन्होंने 14 रन बनाने के लिए 21 गेंदों का समाना किया, 6 विकेट सुरक्षित होने के बावजूद दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों से आखिरी ओवर्स में रन नहीं बन पा रहे थे। आखिरी ओवर में दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 21 रन बनाने थे और तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली ने गेंद वीरेंद्र सहवाग के हाथ में सौंप दी। उनके ओवर की पहली गेंद को जैक्स कैलिस ने मिड विकेट बाउंड्री के बाहर छह रन के लिए भेज दिया। अगली गेंद पर सहवाग ने कैलिस को आउट कर दिया और यह विकेट दक्षिण अफ्रीका के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ। वीरेंद्र सहवाग ने आखिरी गेंद पर लांस क्लूजनर को भी चलता कर दिया और भारत ने यह मुकाबला 10 रनों से अपने नाम कर लिया।