एक कप्तान के तौर पर विराट कोहली की आक्रामकता से सब परिचित हैं और आस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ के साथ डीआरएस सम्बंधी हालिया विवादों के कारण कोहली की आक्रामकता जोरों से चर्चा में है। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान कपिल देव को हालांकि कोहली की आक्रामकता में कुछ गलत नहीं नजर आता। वह कहते हैं कि यह वक्त की मांग है और भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छा भी है। भारत को 1983 विश्व कप दिलाने वाले कपिल देव ने कहा, ‘डीआरएस को लेकर जो चल रहा है, उससे दुखी क्या होना है। हमें वक्त के साथ बदलना होगा। देखिए हर कोई सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ नहीं हो सकता। हर किसी का अपना स्वाभाव है। अगर धौनी (महेंद्र सिंह ) कप्तान के तौर पर शांत थे तो विराट आक्रामक हैं। सौरव आक्रामक थे तो धौनी शांत थे। ऐसे में अगर कोहली आक्रामक हैं तो उनकी तुलना या आलोचना मत करिए।’
आॅस्ट्रेलिया के साथ जारी चार मैचों की टेस्ट सीरीज 1-1 की बराबरी पर है और 16 मार्च से रांची में तीसरा टेस्ट मैच खेला जाना है। इस मैच से पहले डीआरएस को लेकर काफी हो हंगामा हो चुका है और स्मिथ ने भी काफी आक्रामकता दिखाई है। कपिल मानते हैं कि कप्तानों का आक्रामक होना जरूरी है लेकिन यह तभी तक अच्छा है जब तक वे अपनी सीमाओं में रहते हैं। भारत के लिए सबसे पहले 400 टेस्ट विकेटों का आंकड़ा पार करने वाले कपिल ने इसे लेकर कहा, ‘अगर एक सीरीज में दोनों कप्तान आक्रामक हैं तो यह क्रिकेट के लिए अच्छा है। यह अच्छी प्रतिस्पर्धा को जन्म देगा लेकिन यह तब तक ही अच्छा है जब दोनों अपना सीमाओं को न लांघें। उन्हें क्रिकेट की गरिमा का ख्याल करना चाहिए। इसके अलावा खेल में सब जायज है।’
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डीआरएस को लेकर कपिल काफी स्पष्ट राय रखते हैं। उनका कहना है कि अगर पूरी दुनिया इसे अपना रही है तो फिर भारत इससे कैसे पीछे हट सकता है और फिर क्रिकेट में एक बड़ा नाम होने के कारण भारत को यह भी देखना होगा कि विश्व क्रिकेट की भलाई किस बात में है और उसे उसी हिसाब से फैसले करने चाहिए। कपिल ने कहा, ‘अगर सारी दुनिया डीआरएस ले रही है तो ठीक है। इसमें कोई बुराई नहीं। अगर क्रिकेट में बदलाव की जरूरत है तो हमें उसे स्वीकार करना चाहिए। हम उसे कैसे नकार सकते हैं। हां, हमें किसी को मौका नहीं देना चाहिए कि वह हमारे फैसलों पर सवाल खड़ा करे। हां, यह एक नई चीज है और वक्त के साथ हमारे खिलाड़ी और कप्तान इसे लेकर परिपक्व होंगे। हमें यह देखना होगा कि डीआरएस से कैसे विश्व क्रिकेट को फायदा हो रहा है। हमें सिर्फ भारतीय क्रिकेट के बारे में नहीं सोचना चाहिए क्योंकि क्रिकेट वैश्विक खेल है और इसका वैश्विक विकास ही सबके हित में है।’
