क्रिकेट और कैंसर दोनों का जब एक साथ नाम आता है तो क्रिकेट प्रेमियों के ज़ेहन में युवराज सिंह की याद ताजा हो जाती है। भला याद आए भी कैसे नहीं, भला कौन भूल सकता है 2011 का वो वनडे विश्व कप, जिसमें युवराज अपने आॅलराउंडर प्रदर्शन के साथ ‘मैन आॅफ द सीरीज’ बने थे और श्रीलंका के खिलाफ मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए फाइनल मुकाबले में महेंद्र सिंह धोनी ने छक्का लगाकर भारत को 28 साल बाद विश्व विजेता बना दिया था। इस टूर्नामेंट के बाद ही क्रिकेट जगत को पता चला कि युवराज सिंह को कैंसर है। वो इलाज के लिए अमेरिका चले गए थे। लेकिन, ये बात जब दुनिया को पता लगी थी उससे पहले युवराज सिंह को पता थी। उन्होंने 2011 वर्ल्ड कप कैंसर से लड़ाई लड़ते हुए खेला था। उन्हें खून की उल्टियां होती थीं, फिर भी इस जाबांज क्रिकेटर ने खेलना जारी रखा और भारत की खिताबी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। युवराज सिंह ने 2011 के वनडे विश्व कप में 367 रन बनाने के साथ ही 15 विकेट भी चटकाए थे। युवराज हाल के वर्षों में कैंसर से कैसे लड़कर वापसी की जा सकती है इसके सबसे अच्छे उदाहरण और प्रेरणा हैं।

अब इंग्लिश क्रिकेटर माइकल कैरबेरी ने भी युवराज की तरह ही कैंसर से लड़ाई जीत ली है। हैंपशायर के इस 36 वर्षीय सलामी बल्लेबाज ने कैंसर जैसी भयंकर बीमारी को हराते हुए फर्स्ट क्लास क्रिकेट में शतक जमा कर अपनी वापसी का जश्न मनाया है। उन्होंने साउथैम्पटन के रोज बॉउल मैदान पर खेले गए मैच में कार्डिफ एमसीसीयू के खिलाफ माइकल कैरबेरी ने 121 गेंदों का सामना कर 100 रन बनाए। ब्रिटिश मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज माइकल कैरबेरी को शतक पूरा करने के बाद स्टेडियम में मौजूद दर्शकों ने खड़े होकर अभिवादन किया। माइकल कैरबेरी को पिछले साल जुलाई में पता चला था कि उन्हें कैंसर है। इसके बाद उन्हें काउंटी सीजन बीच में ही छोड़ना पड़ा। उन्होंने पिछले साल दिसंबर में ही ट्रीटमेंट के बाद ट्रेनिंग पर लौटने का फैसला किया था और पिछले महीने बारबाडोस के दौरे पर गयी हैंपशायर टीम के सदस्य थे। उन्होंने एक बयान जारी कर अपनी बीमारी के दौरान सहयोग और दुआ करने वाले सभी लोगों को धन्यवाद दिया था। माइकल कैरबेरी ने इंग्लैंड की ओर से 6 टेस्ट, 6 वनडे और एक टी-20 मैच खेले हैं।

माइकल कैरबेरी ने अपनी बीमारी के बारे में बात करते हुए कहा, ‘अभी कैंसर से पूरी तरह उबरने में समय लगेगा। अब मैं पहले से काफी बेहतर हूं, क्रिकेट फैमिली से मिले सहयोग और दुआओं ने अपना असर दिखाया और मुझे मैदान पर लौटने में काफी मदद की। मैं हैंपशायर के लिए समर काउंटी सीजन में बेहतरीन प्रदर्शन करना चाहता हूं। माइकल कैरबेरी ने अपना पिछला टेस्ट मैच आॅस्ट्रेलिया के खिलाफ 2013-14 की एशेज सीरीज के दौरान खेला था। उन्होंने जज्बा दिखाते हुए कैंसर को मात देने और क्रिकेट में फिर वापसी करने में सफलता दर्ज की है। साल 2010 में माइकल कैरबेरी को उनके लंग्स में ब्लड क्लॉट्स के बारे में पता चला था। उस समय भी उन्होंने ट्रीटमेंट के बाद बीमारी से उबरते हुए क्रिकेट मैदान पर वापसी की थी।