भारत की विश्व कप जीत के सूत्रधारों में रहे पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने अपने घर में काम करने लाली का अंतिम संस्कार किया चूंकि कोरोना वायरस महामारी के कारण लागू लॉकडाउन के कारण उसका पार्थिव शरीर ओडिशा नहीं पहुंचाया जा सका। भाजपा के लोकसभा सांसद गंभीर ने ट्विटर पर अपने घर में काम करने वाली सरस्वती पात्रा को श्रृद्धांजलि दी। वह पिछले छह साल से उनके घर पर काम कर रही थी।

उन्होंने ट्वीट किया, ”मेरे बच्चों की देखभाल करने वाली घरेलू सहायिका नहीं हो सकती। वह परिवार का हिस्सा थीं। उनका अंतिम संस्कार करना मेरा फर्ज था।” भारत के लिये 2004 से 2016 के बीच टेस्ट खेल चुके गंभीर ने कहा, ”मेरा हमेशा से मानना रहा है कि व्यक्ति किसी भी जाति, धर्म, वर्ग, सामाजिक दर्जे का हो, सम्मान का हकदार है। इसी से हम बेहतर समाज और देश बना सकते हैं। ओम शांति ।”

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ओडिशा की 49 साल की पात्रा जाजपुर जिले की थी । वह मधुमेह और उच्च रक्तचाप से जूझ रही थी और उन्हें कुछ दिन पहले ही गंगाराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने 21 अप्रैल को दम तोड़ा।

केंद्रीय पेट्रोलियम और इस्पात मंत्री धमेंद्र प्रधान ने गंभीर की तारीफ की। ओडिशा के रहने वाले प्रधान ने कहा कि गंभीर के इस नेक काम से उन लाखों गरीबों के मन में इंसानियत पर विश्वास गहरा हो जायेगा जो आजीविका कमाने के लिये घर से दूर रहते हैं। ट्वीटर पर लोग गौतम गंभीर की तहे दिल से तारीफ कर रहे हैं और उन्हें बड़े दिल वाला बता रहे हैं। कोई उन्हें एक नेक दिल वाला इंसान बता रहा है तो कोई गंभीर को एक उदार हृदय का बोल रहा है।

Ambrish Kumar Patel ने लिखा, आपकी सोच प्रेरणादायक है श्री जी।देश में दीन- दुःखियों के प्रति ऐसे मानवता व्यवहार दिखाने के लिये आपको मेरा नमन। आपकी यह विचारधारा अकल्पनीय है। कई लोग लिख रहे हैं कि आप सिर्फ मैदान पर सिर्फ खेल से ही नहीं बल्कि इंसानियत दिखाखर भी दिल जीतते हैं।