प्रशासकों की समिति (सीओए) ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार अपनी पहली स्थिति रिपोर्ट तैयार कर ली है जिसमें उसने स्पष्ट तौर पर जिक्र किया है कि पहली समयसीमा के अंतर्गत दिये गये 11 सुधारों में दस का पालन नहीं करने का मामला बनता है। केवल एक सुधार जिसे स्वीकार किया गया वह ‘दिव्यांग क्रिकेटरों के लिए पुस्तिका’ था जिसे बीसीसीआई ने जारी किया था और वह पहली समयसीमा में आठवें नंबर पर था।

उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार समयसीमा के दो सेट दिये गये थे और सीओए ने पाया कि राज्य संघों ने इनमें से किसी का भी पालन नहीं किया। सीओए रिपोर्ट में कहा गया है कि नौ अगस्त 2016 को पहली समयसीमा में दिये गये 11 प्वॉइंट का पालन नहीं किया। इसे 30 सितंबर 2016 तक पूरा किया जाना चाहिए था।

पहली समयसीमा में जो दस प्वाइंट दिये गये थे वे इस तरह से हैं :
1- नियमों और शर्तों के नये ज्ञापन को औपचारिक तौर पर स्वीकार करना।
2- राज्य इकाईयों द्वारा संविधान में संशोधन। : कुछ राज्यों ने सीधे लोढ़ा पैनल को सूचित किया था कि वे इसे लागू करें, लेकिन इसका पालन नहीं किया गया।
3- खिलाड़ियों की आचार संहिता, भागीदारों के लिये भ्रष्टाचार निरोधक संहिता, गैर नस्लवाद और संचालन नियमों के संदर्भ में आईपीएल नियमों में संशोधन।
4- गुजरात और महाराष्ट्र जैसे एक से अधिक टीमों वाले राज्यों के लिये रोटेशन तय करना, सदस्यों के बीच धन का वितरण, राष्ट्रीय कैलेंडर और आईपीएल के बीच 15 दिन का अंतर।
5- एजेंट पंजीकरण संबधी नियम।
6- बीसीसीआई के वित्तीय सहयोग से खिलाड़ियों का संघ
7- पुदुच्चेरी को एसोसिएट सदस्य के रूप में जोड़ना।
8- वेबसाइट तैयार करना जिसमें दिव्यांग क्रिकेटरों के लिये लिंक, हिन्दी में रिपोर्ट, स्टेडियमों के लिंक, सुविधाएं और टिकट, सदस्यों की पारदर्शिता हो।
9- क्षेत्रों को फिर से संयोजित करना।
10- बीसीसीआई के लिये निर्वाचन अधिकारियों की नियुक्ति।

समयसीमा का एक दूसरा सेट भी था जिसमें सुधारों के लिये चार प्वॉइंट दिये गये थे और इनका भी बीसीसीआई ने पालन नहीं किया। ये प्वॉइंट इस तरह से थे।
1- राज्य संघों के लिये चुनाव।
2- खिलाड़ियों के संघों की कार्यकारिणी के चुनाव।
3- बीसीसीआई, बीसीसीआई एजीएम की शीर्ष परिषद के चुनाव और नैतिक अधिकारी और लोकपाल की नियुक्ति।
4- नए नियमों के तहत बीसीसीआई समितियों, आईपीएल संचालन परिषद का गठन और प्रबंधन की नियुक्ति।