विवादों से भरे दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) को एक बार और तब शर्मसार होना पड़ा जब इसके संयुक्त सचिव विवेक गुप्ता को बीसीसीआई कार्यकारिणी समिति की बैठक में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गयी क्योंकि वह वहां बिना निमंत्रण के पहुंच गए। इस बात की पुष्टि हो गयी कि डीडीसीए के किसी भी अधिकारी ने गुप्ता को बीसीसीआई सम्मेलन में भाग लेने के लिए अधिकृत नहीं किया था लेकिन वह कथित रूप से राज्य संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ रुक गए जो बीसीसीआई अधिकारी है।

नियमों के अनुसार डीडीसीए स्थायी टेस्ट केंद्र होने के नाते कार्यकारी समिति की बैठक में अपना एक प्रतिनिधित्व रख सकता है लेकिन सीनियर अधिकारी सी के खन्ना मध्य क्षेत्र के उपाध्यक्ष के तौर पर स्थायी रूप से आमंत्रित होते हैं तो किसी अन्य को इसके लिये निमंत्रण नहीं भेजा गया। खन्ना ने बैठक में शिरकत की, जिससे डीडीसीए के अधिकारी इस बात से खफा हैं कि गुप्ता को किसने बीसीसीआई के सालाना सम्मेलन में भाग लेने के लिये धर्मशाला जाने की अनुमति दी।

डीडीसीए के महासचिव अनिल खन्ना ने शनिवार (25 जून) को कहा, ‘मैंने डीडीसीए की ओर से विवेक गुप्ता को बैठक में भाग लेने के लिए अधिकृत नहीं किया। मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता क्योंकि मैंने इस बारे में कोई भी पत्र नहीं लिखा।’ गुप्ता से जब पूछा गया कि वह किस तरह से डीडीसीए का प्रतिनिधित्व करने पहुंचे तो वह कुछ ठोस जवाब नहीं दे सके। उन्होंने फोन काटने से पहले कहा, ‘मैं वहां नजारे देखने गया था।’ पता चला है कि जब गुप्ता ने धर्मशाला में होटल पवेलियन में प्रवेश करने की कोशिश की तो उन्हें सूचित किया गया कि उनका नाम अधिकारियों की सूची में नहीं है। सभी अधिकारियों के लिए यह होटल बुक किया गया था।

वहां मौजूद बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘गुप्ता बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ रुक गए, जिन्होंने उन्हें वादा किया कि अगर वह बैठक में शिरकत करेंगे तो उनके डीए और टीए का भुगतान बीसीसीआई द्वारा किया जायेगा। लेकिन यह शर्मसार करने वाला था कि उनका नाम बीसीसीआई के राज्य संघ के प्रतिनिधियों की सूची में शाामिल नहीं था। इसलिये वह कार्यकारी समिति में भाग लेने के लिये योग्य नहीं थे। आखिरकार उन्हें होटल के अपने बिल का खुद भुगतान करना पड़ा।’