क्रिकेट को यूं तो ‘भद्रजनों का खेल’ कहा जाता है, मगर बांग्‍लादेश में एक वाकये ने इस उपमा पर प्रश्‍नचिन्‍ह लगा दिया है। चटगांव में खेले जा रहे एक स्‍थानीय मैच में 14 साल के बच्‍चे को विरोधी बल्‍लेबाज ने स्‍टंप फेंक कर मार डाला। स्‍टंप लड़के के सिर पर लगा और उसकी मौत हो गई। लड़के का नाम फैजल हुसैन बताया जाता है। असिस्‍टेंट पुलिस कमिश्‍नर जहांगीर आलम ने एएफपी को बताया कि फैजल फील्डिंग कर रहा था, तभी बल्‍लेबाज आउट हो गया। उन्‍होंने कहा, ”बल्‍लेबाज यह देखकर आगबबूला हो गया कि वह स्‍टंप या बोल्‍ड हो गया है। उसने एक स्‍टंप उठाया और हवो में फेंक दिया। स्‍टंप जाकर विकेट के करीब खड़े फैजल के गर्दन और सिर पर लगा। वह दर्द से चीखता हुआ मैदान पर गिर गया, अस्‍पताल ले जाने पर उसे मृत घोषित कर दिया गया।”

पुलिस का कहना है कि आरोपी बल्‍लेबाज को हिरासत में ले लिया गया है और उसपर गैर-इरादतन हत्‍या का मुकदमा चलाया जाएगा। बांग्‍लादेश में क्रिकेट के खेल में ऐसी घटनाएं आम बात हैं, वहां क्रिकेट को स्‍थानीय स्‍तर पर बेहद गंभीरता से लिया जाता है। पिछले साल मई में, ढाका में एक बल्‍लेबाज ने कथित तौर पर स्‍टंप से पीट-पीटकर 16 साल के क्रिकेटर की हत्‍या कर दी थी। उसका कसूर बस इतना था कि उसने एक नो-बॉल पर अंपायर पर ताना कसा था। भारत के आंध्र प्रदेश में 12 जुलाई, 2015 को श्रीकाकुलम के एक गांव में क्रिकेट मैच के दौरान हिंसा में 20 साल के नौजवान की मौत हो गई थी। इंजीनियरिंग के एक छात्र ने मृतक की बल्‍ले से पिटाई की थी, उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी।

क्रिकेट के मैदान पर खिलाड़‍ियों की मौत का यह चंद मामले नहीं हैं। 8 जुलाई, 2015 को इंग्लैंड के सरे में स्थानीय क्रिकेट लीग मैच में बल्लेबाजी करते हुए सीने में गेंद लगने से 24 साल के बावलन पथ्मनाथन की मौत हो गई थी। बावलन को उपचार के लिए एयर एंबुलेंस से भेजा गया लेकिन चोटों के कारण उनकी मौत हो गई। इससे पहले, नवंबर 2014 में सिडनी में घरेलू मैच के दौरान गर्दन के बीच गेंद लगने से ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज फिलिप ह्यूज की मौत हो गई थी।