सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल का शुक्रवार 8 नवंबर 2024 को आखिरी वर्किंग डे था। जस्टिस चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। साल 2022 में नवंबर की 9 तारीख को चीफ जस्टिस बनने से पहले ही चंद्रचूड़ ने ऐसे कुछ अहम फैसले किए थे जिन्होंने भारतीय खेलों में अहम भूमिका निभाई। उनके फैसलों के कारण ही भारतीय खिलाड़ियों को पेरिस ओलंपिक में तिरंगे का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। साथ ही भारत अंडर-17 फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी कर पाया।
भारत कर पाया अंडर17 महिला फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी
दुनिया में फुटबॉल संचालित करने वाली संस्था FIFA ने भारतीय फुटबॉल संघ (AIFF) को अंडर-17 फुटबॉल विश्व कप से पहले बैन कर दिया था। इस वजह से भारत में होने वाले अंडर 17 महिला फुटबॉल वर्ल्ड कप पर खतरा मंडराने लगा। भारत को इसकी मेजबानी पहली बार मिली थी। इसी दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले पैनल ने जल्द से जल्द चुनाव कराने का आदेश दिये। साथ ही एआईएफएफ के तत्कालीन अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को भी फटकार लगाई। इस पैनल के फैसले के बाद चुनाव हुए और भारत को मेजबानी का हक मिला।
पेरिस ओलंपिक से पहले आया था खतरा
आईओसी ने भारतीय ओलंपिक संघ को चुनाव कराने के लिए दिसंबर 2022 तक का समय दिया था। साथ ही यह कहा था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो फेडरेशन पर बैन लग जाएगा। यदि ऐसा हो जाता तो भारतीय खिलाड़ियों को पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व (राष्ट्रीय ध्वज के तले) करने का मौका नहीं मिलता।
सितंबर में जस्टिस चंद्रचूड़ ने रिटायर जस्टिस नागेसवारा राव को आईओए के संविधान में संशोधन की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसी कारण 15 दिसंबर 2022 को आईओए के चुनाव हुए और भारतीय खिलाड़ियो को पेरिस ओलंपिक में तिरंगे के तले खेलने का मौका मिला। जस्टिस चंद्रचूड़ ने ही तत्कालीन आईओए सचिव राजीव मेहता और अध्यक्ष आदिल सुमरीवाला को आईओसी की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करने की मंजूरी दी थी।
बीसीसीआई को लेकर भी सुनाया था बड़ा फैसला
जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले पैनल ने ही बीसीसीआई के पदाधिकारियों के कूलिंग ऑफ पीरियड में भी बदलाव किया। लोढ़ा कमेटी ने सुझाव दिया था कि तीन टर्म के बाद तीन साल का कूलिंग ऑफ पीरियड होता था। जस्टिस चंद्रचूड़ के फैसला सुनाने के बाद यह कूलिंग ऑफ पीरियड का टर्म 12 साल बाद का हो गया।