भारत की नाओरेम रोशिबिना देवी ने गुरुवार को एशियाई खेलों की महिला 60 किग्रा वुशु सांडा फाइनल में स्थानीय दावेदार वू शियाओवेई के खिलाफ 0-2 की शिकस्त के साथ रजत पदक जीता। रोशिबिना ने 2018 में जकार्ता खेलों में कांस्य पदक जीता था। यह मेडल उनके लिए बहुत खास है और वह इसे अपने साथियों के लिए जीतना चाहती थीं जिन्हें चीन का वीजा नहीं दिया गया है।

अपने साथियों के लिए मेडल जीतना चाहती थी रोशिबिना

उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘मैं अपने तीन दोस्तों के लिए यह मेडल जीतना चाहती थी। मैं ओनिलू (वुशु खिलाड़ी)के काफी करीब हूं। उनके साथ रहने की आदत है। हम साथ में ट्रेन करते थे और अच्छे दोस्त हैं। ऐसे खेलों में किसी का साथ होना जरूरी होता है। हम सभी काफी करीब है। मैं अपना यह मेडल अपने परिवार और अपने तीनों दोस्त को समर्पित करना चाहती हूं जो यहां नहीं है। यह मेरा उनको तोहफा है।’

परिवार की चिंता में थी रोशिबिना

इसके साथ-साथ रोशिबिना को पूरे टूर्नामेंट के दौरान अपने परिवार की भी चिंता सता रही थी जो कि मणिपुर हिंसा के बीच फंसे हुए थे। उन्होंने कहा, ‘मैं कुछ नहीं कर सकती। मैं बस नकरात्मक चीजों से दूर रहना चाहती थी। मेरा पिता विरोध प्रदर्शन में जाते हैं और मां गांव को सुरक्षित रखने की कोशिश करती है। मेरा घर पुलिस स्टेशन के पास है लेकिन वह भी डरे हुए हैं।’

रोशिबिना चीन की खिलाड़ी से हारी

रोशिबिना को गत चैंपियन शियाओवेई के खिलाफ जूझना पड़ा और उन्होंने चीन की खिलाड़ी को अच्छी शुरुआत करने का मौका दिया। जजों ने दो दौर के बाद शियाओवेई को विजेता घोषित किया। चीन की खिलाड़ी पहले दौर से ही आक्रामक दिखी और उन्होंने रोशिबिना को गिराकर अंक बनाए। मणिपुर की खिलाड़ी ने वापसी करते हुए शियाओवेई का पैर पकड़कर उन्हें सीमा रेखा से बाहर करने की कोशिश की लेकिन नाकाम रही जिससे चीन की खिलाड़ी ने 1-0 की बढ़त बनाई। दूसरे दौर में चीन की खिलाड़ी ने रोशिबिना के शरीर के ऊपरी हिस्से पर प्रहार से अंक जुटाया और जीत दर्ज की। रोशिबिना ने 2018 में जकार्ता खेलों में कांस्य पदक जीता था।