सऊदी अरब उन देशों में शामिल हैं जो कि अपने इस्लामिक कानूनों को लेकर काफी सख्त है। कई बार यह नियम महिलाओं के पैर में बेड़ियां बन जाते हैं जो उन्हें सपनों की उड़ान भरने नहीं देते। खासतौर पर उन महिलाओं के लिए जो खेल की दुनिया में अपना नाम बनाना चाहती थीं। 2012 के लंदन ओलंपिक में ऐसी उम्मीद जगी थी कि शायद सऊदी अरब भी बदलाव के रास्ते पर चलना चाहता है लेकिन 2014 के एशियन गेम्स में यह उम्मीद भी टूट गई।

सऊदी अरब के दल में नहीं थी एक भी महिला

साल 2014 में साउथ कोरिया के इंचियोन में एशियन गेम्स का आयोजन हुआ था। सऊदी अरब ने यहां 199 खिलाड़ियों का दल भेजा था जिसमें एक भी महिला शामिल नहीं थी। इस फैसले से सभी हैरान थे। नियमों के मुताबिक देश अपने हिसाब से दल के खिलाड़ियों का चुनाव करते हैं जिसमें महिलाओं का होना अनिवार्य नहीं हैं लेकिन जिन 45 देशों ने इन खेलों में हिस्सा लिया उसमें केवल सऊदी अरब ही ऐसा देश था जिसकी टीम में एक भी महिला शामिल नहीं थी। हिजाब पर लगे बैन को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा था।

साउथ कोरिया में हुए इन खेलों के दौरान हिजाब पहनने पर बैन लगाया गया था। सऊदी अरब में बिना हिजाब के महिला के घर से बाहर जाने पर मनाही है। कतर की महिला बास्केटबॉल टीम ने भी इसी बैन के कारण नाम वापस ले लिया था। ऐसा माना गया कि सऊदी अरब ने इसी वजह से महिला एथलीट को मौका नहीं दिया ।

2012 ओलंपिक में सऊदी अरब की महिला एथलीट्स ने लिया था हिस्सा

साल 2012 के ओलंपिक में सऊदी अरब ने दो महिलाओं को टीम में जगह दी थी। वुजदान शाहखानी ने जुडो में और सारा अट्टर ने ट्रैक एंड फील्ड में हिस्सा लिया था। दोनों महिलाओं के साथ उनके पुरुष गार्जियन को भेजा गया था और उन्होंने हिजाब पहनकर इवेंट में हिस्सा लिया था। वह क्वालिफाई नहीं कर पाई थी और फिर आईओसी एथलीट के तौर पर हिस्सा लिया । आईओसी यूनिवर्सालिटी क्लॉज के तहत वह खिलाड़ी भी ओलंपिक में हिस्सा लेते हैं जो कि क्वालिफाइंग मार्क हासिल नहीं कर पाते। सबको बराबरी का हक देने के लिए इसकी शुरुआत की गई थी।

सऊदी अरब ने दिया तर्क

मानवधिकार के लिए काम करने वाले संगठनों ने इस कदम की बहुत आलोचना की थी। एशियन ओलंपिक एसोसिएशन से लेकर यूएन तक ने इसे गलत कदम बताया था। सऊदी के फैसले की आलोचना हुई तो उन्होंने सामने आकर जवाब दिया। उन्होंने तर्क दिया कि किसी भी महिला खिलाड़ी का स्तर एशियन गेम्स के लायक नहीं था इसलिए उन्होंने किसी को नहीं भेजा। इसके साथ ही उन्होंने यह दावा भी किया कि वह रियो ओलंपिक में एक बड़ी संख्या में महिला खिलाड़ियों को मौका देंगे। हालांकि रियो ओलंपिक में यह संख्या दो से केवल चार तक ही पहुंची।