भारत के स्टार रेसलर बजरंग पूनिया ने एशियन गेम्स 2023 में पूरे देश को निराश किया और जिस खिलाड़ी से गोल्ड की आशा की जा रही थी वह कांस्य पदक तक नहीं जीत पाए। बजरंग पूनिया का प्रदर्शन एशियन गेम्स में निराश करने वाला रहा और पुरुषों की फ्रीस्टाइल 65 किलोग्राम कांस्य पदक मैच में भी उन्हें हार मिली और उनका हाथ खाली रह गया।

शुक्रवार को कांस्य पदक के मुकाबले में बजरंग पूनिया को 2019 के जूनियर विश्व चैंपियन जापान के कैकी यामागुची ने तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर हरा दिया। इस मुकाबले में बजरंग एक भी स्कोर हासिल नहीं कर पाए और उन्हें 0-10 से हार मिली।

यामागुची के सामने बेरंग नजर आए बजरंग पूनिया

कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में भारत के लिए ओलंपिक मेडल जीत चुके बजरंग पूनिया पूरी तरह से बेदम नजर आए और यामागुची ने एकतरफा मुकाबले में उन्हें हरा दिया। यामागुची के दांवपेच के सामने बजरंग की कोई भी रणनीति कारगर नहीं रही और वह एक भी अंक इस खिलाड़ी के खिलाफ नही बटोर पाए और अपने साधारण खेल से उन्होंने पूरे देश को निराश कर दिया।

29 साल के बजरंग पूनिया का यह तीसरा एशियन गेम्स था और पिछली बार गोल्ड जीतने वाला यह खिलाड़ी इस बार खाली हाथ रह गया। बजरंग ने साल 2014 में एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीता था और फिर साल 2018 में हुए एशियन गेम्स में उन्होंने पदक का रंग बदल दिया और गोल्ड जीता, लेकिन इस बार वह अपनी पिछली सफलता को छूने से बेहद दूर नजर आए।

साल 2023 बजरंग पूनिया के लिए अच्छा नहीं रहा था। इस साल की शुरुआत में ही यानी जनवरी में बजरंग पूनिया भारतीय कुश्ती संघ के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरने पर बैठे थे। बजरंग पूनिया के कई अन्य पहलवानों का साथ मिला था और उनकी मांग थी कि उन्हें अपने पद से हटाया जाए और उन पर पहलवानों द्वारा महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोप भी लगाया गया था। बजरंग की यह लड़ाई लंबी चली थी और उनका पूरा ध्यान खेल से हटकर प्रोटेस्ट पर लगा था जिसका उन्हें नुकसान हुआ। उनका पूरा समय खेल से हटकर धरने पर लगा रहा और इसका खमियाजा ना सिर्फ बजरंग को बल्कि पूरे देश को भुगतना पड़ा।