ऑस्ट्रेलिया की एश्ले बार्टी ने 10 जुलाई 2021 को इंग्लैंड के ऑल इंग्लैंड लॉन टेनिस एंड क्रोकै क्लब (All England Lawn Tennis and Croquet Club) पर इतिहास रच दिया। ऑस्ट्रेलिया की इस पूर्व क्रिकेटर ने वुमन्स सिंगल्स फाइनल में कैरोलिना प्लिस्कोवा को 6-3, 6-7, 6-3 से हराकर विम्बलडन टेनिस टूर्नामेंट की ट्रॉफी अपने नाम की। 24 अप्रैल 1996 को क्वींसलैंड में जन्मीं बार्टी ने 4 साल की उम्र से टेनिस खेलना शुरू किया था। वे 2011 में विम्बलडन जूनियर गर्ल्स चैम्पियन बन गईं थीं।
प्लिस्कोवा पिछले सात वर्षों में विम्बलडन के फाइनल में पहुंचने वाली चेक गणराज्य की पहली खिलाड़ी थीं। शीर्ष वरीय एश्ले बार्टी का यह दूसरा ग्रैंडस्लैम खिताब है। इससे पहले उन्होंने 2019 में फ्रेंच ओपन की ट्रॉफी जीती थी। हमवतन इवोने गूलागोंग के 1980 में ऑल इंग्लैंड क्लब में खिताब जीतने के बाद एशली बार्टी विम्बलडन ट्रॉफी जीतने वाली पहली ऑस्ट्रेलियाई महिला हैं। बार्टी ने कहा कि उन्हें गूलागोंग से काफी प्रेरणा मिली हैं। उन्होंने विम्बलडन में वैसी ही ड्रेस पहनी जैसी गूलागोंग ने 1971 में पहली बार विम्बलडन जीतने के दौरान पहनी थी। ऐसे में बार्टी उस ट्रॉफी की 50वीं वर्षगांठ पर खिताब जीतने में भी सफल रहीं।
कोरोनावायरस के कहर के कारण साल 2020 में यह ग्रैंड स्लैम नहीं हुआ था। विम्बलडन फाइनल की बात करें तो बार्टी 8वीं वरीयता प्राप्त प्लिस्कोवा के खिलाफ हर सेट की शुरुआत में सर्वश्रेष्ठ दिख रही थीं। चेक गणराज्य की 29 वर्षीय की प्लिस्कोवा इस तरह दो बार मेजर फाइनल में पहुंची, लेकिन दोनों बार ही उप विजेता रहीं। वह 2016 अमेरिकी ओपन के फाइनल में भी हार गईं थीं। बार्टी को मुश्किल दूसरे सेट के अंत में हुई। वह 6-5 से आगे थीं और सर्विस कर रही थीं लेकिन लगातार फोरहैंड पर उनकी सर्विस टूटी और टाईब्रेकर में वह डबल फाल्ट से यह सेट गंवा बैठीं।
बार्टी ने हालांकि तीसरे सेट में 3-0 से बढ़त बनाई और आगे बढ़ती गईं। साल 2012 के बाद यह पहला विम्बलडन महिला फाइनल है, जिसका नतीजा तीन सेट में निकला। साथ ही 1977 के बाद ऐसा पहली बार है जब फाइनल की दोनों प्रतिभागी ऑल इंग्लैंड क्लब में खिताबी भिड़ंत तक का सफर तय करने में सफल हुई हों। मतलब बार्टी और प्लिस्कोवा इससे पहले इस टूर्नामेंट के चौथे दौर से आगे नहीं पहुंच सकी थीं।
क्रिकेट ने कराई टेनिस कोर्ट में वापसी
शायद कम लोगों को पता हो कि बार्टी को शीर्ष पर पहुंचाने में क्रिकेट का भी अहम योगदान है। बार्टी खुद को मानसिक तौर पर मजबूत करने के लिए 7 साल पहले टेनिस छोड़कर क्रिकेटर बन गईं थीं। तब उन्हें टेनिस खेलना, देखना और यहां तक कि इस खेल के बारे में बात करना तक पसंद नहीं था। बार्टी सितंबर 2014 में यूएस ओपन के पहले दौर में हार गईं थीं। इसके बाद उन्होंने पेशेवर टेनिस से ब्रेक लेने का ऐलान किया। तब उन्होंने इसकी वजह नहीं बताई थी।
बार्टी ने बाद में बताया था,‘मुझे मानसिक तौर पर अधिक मजबूत होने के लिए कुछ समय चाहिए था। मेरे लिए टेनिस खेलना कठिन हो गया था। मैं इसका पर्याप्त आनंद नहीं ले पा रही थी।’ क्रिकेटर बनने के पीछे बार्टी ने कहा था, ‘यह एक ऐसा खेल है, जिसमें जब आप संघर्ष के समय अकेले नहीं होते हैं। कठिन समय में आपकी मदद के लिए 10 और लड़कियां आपके साथ होती हैं। वे आपको उस मुश्किल दौर से वापस ला सकती हैं।’ बार्टी ने जब ब्रेक लिया, तब उनकी वुमन्स सिंगल्स में 216 और डबल्स में 40 रैंक थी।
बिग बैश लीग का भी रही थीं हिस्सा
बार्टी ने 2015 में क्वींसलैंड फायर के तत्कालीन कोच एंडी रिचर्ड्स से मुलाकात कर क्रिकेट खेलने की इच्छा जाहिर की। रिचर्ड्स उनकी स्पोर्ट्स स्किल्स से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने बार्टी को ट्रेनिंग देनी शुरू की। इसके बाद बार्टी ने वेस्टर्न सबर्ब्स के लिए 13 मैच खेले। उन्होंने एक शतक लगाया और 42.4 के औसत से 8 विकेट लिए। वेस्टर्न सबर्ब्स ने ही लीग का फाइनल जीता। उसी साल ऑस्ट्रेलिया में वुमन्स बिगबैश लीग शुरू हुई। बार्टी के साथ ब्रिसबेन हीट ने करार किया।
बार्टी ने अपने पहले ही मैच में मेलबर्न स्टार्स के खिलाफ एक छक्के की मदद से 27 गेंद पर 39 रन बनाए। यह उनकी टीम में किसी बल्लेबाज का दूसरा हाइएस्ट स्कोर था। बिग बैश लीग खत्म होने के कुछ सप्ताह बाद ही बार्टी ने फरवरी 2016 में पेशेवर टेनिस में वापसी का ऐलान किया। शुरू में सिर्फ डबल्स इवेंट में हिस्सा लिया। मई 2016 से सिंगल्स भी खेलने लगीं। जून 2019 में वह दुनिया की नंबर वन टेनिस खिलाड़ी भी बन गईं थीं। बार्टी वर्ल्ड टेनिस रैंकिंग में नंबर वन बनने वाली ऑस्ट्रेलिया की दूसरी महिला खिलाड़ी हैं। उनसे पहले मार्गेट कोर्ट ने यह उपलब्धि हासिल की थी।
