खेल संस्थानों में देश के भविष्य तैयार होते हैं और खिलाड़ी पूरी दुनिया में अपने देश का मान बढ़ाते हैं। वहीं, कोच को खिलाड़ी भगवान की संज्ञा देते हैं। लेकिन, कभी-कभी कुछ ऐसे मामले सामने आते हैं जिनसे कोच-खिलाड़ी का पाक रिश्ता तो शर्मसार होता ही है और साथ में कई सवाल भी खड़े होते हैं। ऐसी ही कहानी इन दिनों भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) की भी है। पिछले 10 सालों में साई की 24 अलग-अलग इकाइयों में यौन उत्पीड़न के करीब 45 मामले सामने आए हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट की मानें तो इन 45 मामलों में 29 कोच के खिलाफ ही हैं। जहां उनपर यौन शोषण का आरोप लगा है। शर्मनाक बात तो यह है कि इनमें से अधिकतर मामलों में आरोपियों को केवल मामूली सी सजा देकर छोड़ दिया गया। या तो उनका तबादला कर दिया गया या फिर उनके वेतन से कटौती हुई। वहीं, कई मामलों की तो लंबे समय से जांच हो रही है लेकिन अभी तक कोई ठोस कारर्वाई नहीं हुई है।
महिला सशक्तिकरण पर एक संसदीय समिति की रिपोर्ट में पिछले साल फरवरी में कहा गया था कि “संख्या अधिक हो सकती है क्योंकि कई बार कोचों के खिलाफ मामले दर्ज ही नहीं होते हैं। इस बाबत इंडियन एक्सप्रेस द्वारा भेजी गई विस्तृत प्रश्नावली का जवाब साई ने नहीं दिया है।
लेकिन खबरों की मानें तो गठन के पूर्व महानिदेशक, जिजी थॉमसन ने कहा कि खिलाड़ी अक्सर अपनी शिकायतें वापस ले लेते हैं या अपने बयान बदल लेते हैं क्योंकि उनके करियर पर असर पड़ने का डर होता है, जिससे उनके लिए कार्रवाई करना मुश्किल हो जाता है।